वाशिंगटन, 28 जून, 2022 – विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने आज भारत के आवासीय क्षेत्र को रूफटॉप सौर प्रणाली अपनाने और सौर ऊर्जा को अधिक किफायती बनाने के लिए अतिरिक्त वित्तपोषण के तहत 16.5 करोड़ डॉलर की मंजूरी दी। ये सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) स्थापनाएं स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करेंगी और जीवाश्म ईंधन की प्रथा को विस्थापित कर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेंगी। इस परियोजना से ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में 1.39 करोड़ टन की कमी आने का अनुमान है।
भारत के लिए विश्व बैंक के कार्यवाहक देश निदेशक हिदेकी मोरी ने कहा, "भारत का बिजली क्षेत्र वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है और देश के कुल ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग आधा हिस्सेदारी रखता है। अक्षय ऊर्जा के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि करके बिजली क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करना अनिवार्य है।" उन्होंने कहा कि "यह अतिरिक्त वित्तपोषण ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर की भारत की स्थापित क्षमता को बढ़ाएगा और 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत हिस्सा अक्षय स्रोतों से प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा।"
वर्तमान में वार्षिक सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर पांचवें स्थान पर है। हालांकि, अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर जमीन पर लगने वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए काफी भूमि क्षेत्र की आवश्यकता है। इसलिए सरकार देश की रूफटॉप सोलर क्षमता बढ़ाने पर विचार कर रही है।
विश्व बैंक ग्रिड-कनेक्टेड रूफटॉप सौर कार्यक्रम के लिए 64.8 करोड़ डॉलर का वित्तपोषण के साथ 2017 से रूफटॉप सोलर से बिजली पैदा करने के भारत सरकार के कार्यक्रम का समर्थन कर रहा है। यह सौर कार्यक्रम मुख्य रूप से वाणिज्यिक और औद्योगिक रूफटॉप पीवी सिस्टम पर केंद्रित है। इस उधार के साथ, उपयोगकर्ता अपने स्वयं के उपयोग के लिए स्वच्छ, विश्वसनीय ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं और अधिशेष बिजली को राष्ट्रीय ग्रिड में फीड कर सकते हैं। अतिरिक्त वित्तपोषण आवासीय क्षेत्र को कवर करने के लिए कार्यक्रम का पैमाना बढ़ाने और विस्तारित करने में मदद करेगा और सरकार के 40 गीगावाट (जीडब्लू) सौर रूफटॉप स्थापनाओं के लक्ष्य का समर्थन करेगा।
भारत, देश में रूफटॉप सोलर के विकास को, विशेष रूप से आवासीय क्षेत्र में समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। अधिकांश आवासीय उपभोक्ता वाणिज्यिक या औद्योगिक उपभोक्ताओं की तुलना में बिजली के लिए कम भुगतान करते हैं और इसलिए उन्हें रूफटॉप सोलर में स्थानांतरित होने के लिए कम प्रोत्साहन मिलता है। किफायती वित्त पोषण और नवोन्मेषी व्यापार मॉडल का अभाव और उच्च अग्रिम पूंजी लागत इस चुनौती को और बढ़ा देती है।
अतिरिक्त वित्तपोषण आवासीय क्षेत्र में 450 मेगावाट की रूफटॉप सौर क्षमता का सीधे वित्तपोषण करेगा। महत्वपूर्ण रूप से, परियोजना विकासकर्ताओँ और आवासीय उपभोक्ताओं को रियायती वित्तपोषण प्रदान करेगी और अतिरिक्त निजी पूंजी जुटाएगी। इसका लक्ष्य अब तक जुटाए गए 15.16 करोड़ डॉलर के अलावा, 7.1 करोड़ डॉलर की और निजी पूंजी जुटाना है।
परियोजना के टास्क टीम लीडर अमित जैन और मणि खुराना ने कहा कि “कार्यक्रम आवासीय उपभोक्ताओं के लिए रूफटॉप सोलर को किफायती बनाने में मदद करेगा और महत्वपूर्ण क्षमता वाले बाजार को उत्प्रेरित करेगा। यह नागरिकों और आम लोगों को देश में आकार ले रही ऊर्जा संक्रमण क्रांति में भाग लेकर कम गर्म दुनिया बनाने में योगदान देने में मदद करेगा ।”
बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) सीधे आवासीय उपभोक्ताओं के साथ जुड़ती हैं और ग्रिड से जुड़े सौर के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह परियोजना आवासीय ग्राहकों के समूहों, सौर रूफटॉप और बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को स्थापित करने के लिए इष्टतम स्थानों और उपयुक्त व्यावसायिक प्रथाओं की पहचान करने में समर्थन देगी जो बदले में यूटीलिटिज की मदद करेंगी।
अतिरिक्त वित्तपोषण में इंटरनेशनल बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्श ऐंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 15 करोड़ डॉलर का ऋण, और अभिनव वैश्विक सार्वजनिक वस्तु समाधान के लिए आईबीआरडी फंड से 1.5 करोड़ डॉलर का अन्य ऋण शामिल है।