नई दिल्ली, 28 जनवरी, 2021 - भारत सरकार और विश्व बैंक ने आज छह भारतीय राज्यों – हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, और राजस्थान में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और प्रशासन में सुधार के लिए 50 करोड़ डॉलर के स्ट्रेंथनिंग टीचिंग-लर्निंग ऐंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स प्रोग्राम (स्टार्स) पर हस्ताक्षर किये। कार्यक्रम से 15 लाख स्कूलों में लगभग 25 करोड़ विद्यार्थी (6 से 17 वर्ष के बीच के उम्र के) और 1 करोड़ से अधिक शिक्षक लाभान्वित होंगे।
स्टार्स कार्यक्रम सार्वजनिक स्कूली शिक्षा को मजबूत करने और “सभी के लिए शिक्षा” उपलब्ध कराने के देश के लक्ष्य का समर्थन करने के लिए भारत और विश्व बैंक के बीच लंबी साझेदारी (1994 से) पर आधारित है। स्टार्स से पहले, बैंक ने इस लक्ष्य के लिए 3 अरब डॉलर से अधिक की कुल सहायता प्रदान की थी।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग के अतिरिक्त सचिव सी.एस. महापात्र ने कहा कि “भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सभी के लिए समान और समावेशी शिक्षा की परिकल्पना करती है। स्टार्स परियोजना इस दृष्टिकोण को आगे ले जाने में मदद करेगी ”। उन्होंने कहा कि “यह बच्चों की शुरुआती शिक्षा और मूलभूत अधिगम (लर्निंग) को मजबूत करेगी; स्कूलों के व्यावसायिक शिक्षा की ओर बढ़ने को सुविधाजनक बनायेगी; अधिगम (लर्निंग) मूल्यांकन तंत्र में सुधार करेगी; और शिक्षक विकास का समर्थन करेगी। यह देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में मदद करेगी।“
समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलात विभाग के अतिरिक्त सचिव सी.एस. महापात्र और विश्व बैंक की ओर से भारत के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किये।
भारत ने लंबे समय से देशभर में शिक्षा की पहुँच में सुधार के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किये हैं। 2004-05 और 2018-19 के बीच, स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या 21.9 करोड़ से बढ़कर 24.8 करोड़ हो गयी है। हालाँकि, सभी आयु समूहों के विद्यार्थियों के अधिगम (लर्निंग) परिणाम मानक से नीचे बने हुए हैं।
भारत में वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा कि “भारत भविष्य के विकास को बढ़ावा देने और श्रम बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए अपने अधिगम (लर्निंग) परिणामों में काफी सुधार किये जाने की आवश्यकता को पहचानता है। स्टार्स स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन को मजबूत बनाकर, शिक्षक क्षमता में निवेश करके और यह सुनिश्चित करके कि किसी भी पृष्ठभूमि का कोई बच्चा शिक्षा का अधिकार पाने में पीछे न छूटे, इस चुनौती को पूरा करने में भारत के प्रयासों का समर्थन करेगा।“ उन्होंने कहा कि "शिक्षा के शुरुआती वर्षों में अधिक निवेश करना बच्चों को भविष्य की नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करेगा।"
स्टार्स भारत के नये सिरे से ‘अधिगम (लर्निंग) परिणाम’ की चुनौती को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने और विद्यार्थियों को भविष्य की नौकरियों के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने में सुधार पहलकदमियों की एक श्रृंखला के माध्यम से मदद करेगा। इसमे शामिल है -
- स्कूल के माहौल के लिए स्थानीय स्तर के विशेषीकृत समाधान प्रदान करके राज्य, जिला और उप जिला स्तरों पर शिक्षा सेवाएँ देने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना।
- अधिगम (लर्निंग) की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए बेहतर डेटा एकत्र करके हितधारकों, विशेष रूप से अभिभावकों की अधिक से अधिक जवाबदेही और समावेशन की मांगों को पूरा करना; कमजोर वर्ग के बच्चों पर विशेष ध्यान देना - छह परियोजना राज्यों में सरकार संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले 52 प्रतिशत (भारित औसत के रूप में) से अधिक बच्चे अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अल्पसंख्यक समुदाय जैसे वंचित तबकों के हैं; और एक पाठ्यक्रम प्रदान करना जो जॉब मार्केट की तेजी से उभर रही जरूरतों से तालमेल रखता है।
- इस परिवर्तन का प्रबंधन करने के लिए शिक्षकों को सुसज्जित करना क्योंकि शिक्षक बेहतर अधिगम (लर्निंग) परिणामों को प्राप्त करने के लिए केंद्र बिंदु हैं। कार्यक्रम शिक्षकों के लिए वैयक्तिकृत, आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण का समर्थन करेगा जो प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आकार देने और उन्हें उनकी शिक्षण आवश्यकताओं के लिए प्रासंगिक बनाने में अपनी बात कहने का अवसर देगा।
- कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों के लिए मूलभूत अधिगम (लर्निंग) को मजबूत करके और भविष्य के श्रम बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें संज्ञानात्मक, सामाजिक-व्यावहारिक और भाषा कौशल के साथ तैयार करके भारत की मानव पूंजी की बढ़ती जरूरतों में और अधिक निवेश करना।
राष्ट्रीय स्तर पर, समग्र शिक्षा के माध्यम से, और हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, और राजस्थान के साथ साझेदारी में, स्टार्स अधिगम (लर्निंग) मूल्यांकन प्रणालियों को बेहतर बनाने; कक्षा निर्देश और उपचार को मजबूत करने; स्कूल-टू-वर्क परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने; और प्रशासन और विकेंद्रीकृत प्रबंधन को मजबूत करने में भी मदद करेगा।
शिक्षा के लिए सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी 4) के अनुरूप, यह कार्यक्रम राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) में सुधार करके अधिगम (लर्निंग) के स्तर पर बेहतर डेटा बनाने में मदद करेगा। भारत का अधिगम (लर्निंग) स्तर वैश्विक स्तर के मुकाबले कैसा है, इस पर डेटा प्राप्त करने के लिए पीआईएसए में भारत की भागीदारी का भारत सरकार द्वारा लिया गया एक ऐतिहासिक रणनीतिक निर्णय है। स्टार्स इस बड़े कदम में भारत की सहायता करेगा।
भारत ने प्राथमिक शिक्षा में नामांकन में जेंडर समानता सफलतापूर्वक हासिल कर ली है। हालांकि, कई बच्चों के लिए, माध्यमिक शिक्षा वह चरण है जब वे स्कूल छोड़ देते हैं और कार्यबल में शामिल हो जाते हैं। स्टार्स के तहत, प्रत्येक राज्य से अपेक्षा की जाती है कि वह न केवल इस गिरावट को स्थिर करे बल्कि माध्यमिक शिक्षा के लिए पूर्णता दर में सुधार करे।
अग्रणी शिक्षा विशेषज्ञ और परियोजना के लिए विश्व बैंक की टास्क टीम की मुखिया शबनम सिन्हा ने कहा कि “स्टार्स स्कूली शिक्षा की योजना और बजट के लिए राज्यों को अधिक लचीलापन उपलब्ध कराने के भारत सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन करेगा। यह सर्वाधिक वंचितों की आवश्यकताओं को देखने, सभी स्तरों पर जवाबदेही को मजबूत करने और इस तरह शिक्षा के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने में राज्यों को साक्ष्य-आधारित योजना कार्यान्वित करने में मदद करेगा।“
इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 50 करोड़ डॉलर के ऋण की पूर्ण परिपक्वता पाँच वर्षों की अनुग्रह अवधि सहित 17.5 वर्षों की है।