2018 में, मानसून के कारण भारत के दक्षिणी राज्य केरल में भारी तबाही आई थी। राज्य में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण केवल दस दिनों में साल भर की बरसात जितना पानी इकट्ठा हो गया। सभी बांध और जलाशय तेजी से भर गए और खतरे के निशान को छूने लगे।
एलिजाबेथ कोराथ, पेरियार नदी पर बने भुथथंकेट्टू बांध की प्रभारी इंजीनियर थीं। पेरियार नदी राज्य की सबसे बड़ी नदी है, और कई मायनों में इसकी जीवनरेखा है। वह बताती हैं कि किस तरह से वह और उनकी सहकर्मी सुजाता एवं अन्य लोग त्रिवेंद्रम में सिंचाई विभाग के मुख्यालय को लगातार हर घंटे बढ़ते जलते स्तर की सूचना दे रहे थे। लगातार हो रही बारिश के कारण हमने अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए बांध के सभी फाटक खोल दिए थे।
वह याद करते हुए बताती हैं, "जलाशय का पानी खतरे के निशान से काफ़ी अधिक बढ़ गया था, और बारिश नहीं थम रही थी। हम कई दिनों तक वहीं उसी जगह पर रुके रहे ताकि हर घंटे की रिपोर्ट जारी कर सकें। हमें चिंता थी कि कहीं जलाशय के पानी से पास के गांवों में बाढ़ न आ जाए। सौभाग्य से, ऐसा नहीं हुआ. बाढ़ के आने से पहले हमने बांध की मरम्मत का सारा काम पूरा कर लिया।"
पास ही, मलंकारा बांध का प्रबंधन करने वाली महिला इंजीनियर, उन तनावपूर्ण दिनों के बारे में बताती हैं, जब उन्हें जलाशय में बढ़ते जल स्तर की निगरानी के लिए वहीं बांध के पास शिविर बनाकर ठहरना पड़ा था। "पहली बार ऐसा नज़ारा देखने को मिला था कि बांध के दोनों किनारों पर पानी का स्तर खतरे के निशान को छू रहा था।"
मंजू, जिन्हें हाल ही में मलंकरा बांध के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, अपने रोजमर्रा के काम के बारे में बताती हैं कि किस तरह से स्थानीय किसानों, पंचायतों (ग्राम परिषदों) की परस्पर विरोधी मांगों को पूरा करना आसान नहीं है। "सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति जैसी परस्पर विरोधी मांगों के liye बांध से पानी छोड़ने को कहा जाता है। जबकि उसी समय, मुझे ये देखना पड़ता है कि भविष्य की ज़रूरतों के लिए भी जलाशय में पानी का स्तर बना रहे।"
बांध सुरक्षा विभाग के साथ काम करते हुए S. मंजू अक्सर वरिष्ठ इंजीनियरों के साथ राज्य भर में चल रहे मरम्मत-कार्यों का निरीक्षण करने के लिए बांध स्थलों का दौरा करने जाती रहती हैं। वह अन्य महिला सहयोगियों के साथ काम करके बेहद गर्व महसूस करती हैं। "राज्य में बांध परियोजनाओं पर काम कर रही महिला सहयोगियों के साथ बातचीत करके खुशी मिलती है। हमें इस बात का गर्व होता है कि हमारा काम प्रदेश में रहने वाले लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।"
भुथथंकेट्टू और मलंकारा बांध दोनों ही केरल के उन 16 बांधों में से हैं, जिनकी मरम्मत विश्व बैंक समर्थित बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डैम रिहैबिलिटेशन एंड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट: ड्रिप) के तहत की जा रही है।