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प्रेस विज्ञप्ति3 सितंबर, 2024

भारत की अर्थव्यवस्था धीमी वैश्विक वृद्धि के बावजूद मजबूत बनी रहेगी

The World Bank

Greater openness to trade will be key to reaching $1 trillion merchandise exports by 2030

World Bank

नई दिल्ली, 3 सितंबर, 2024 - विश्व बैंक के नवीनतम भारत विकास अपडेट: बदलते वैश्विक संदर्भ में भारत के व्यापारिक अवसर के अनुसार, चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था तीव्र  गति से आगे बढ़ रही है। लेकिन वर्ष 2030 तक अपने $1 ट्रिलियन व्यापारिक निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, भारत को अपनी निर्यात नीति में विविधता लाने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का लाभ उठाने की आवश्यकता है।

इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू)  का मानना ​​है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है और यह अर्थव्‍यवस्‍था  वित्‍त वर्ष 23/24 में 8.2 प्रतिशत की तीव्र गति से बढ़ी है । यह बढ़त सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निवेश और रियल एस्टेट में घरेलू निवेश में बढ़ोतरी के कारण हुई है । आपूर्ति के संदर्भ में , इसे एक प्रगतिशील विनिर्माण क्षेत्र द्वारा समर्थन मिला, जिसमें 9.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और लचीली सेवा गतिविधि से भी समर्थन मिला, जिसने कृषि की खराब अर्थव्यवस्था की  भरपाई की। इन रुझानों को दर्शाते हुए, महामारी के बाद से शहरी बेरोजगारी में खासकर महिला श्रमिकों का धीरे-धीरे सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत में महिला शहरी बेरोजगारी गिरकर 8.5 प्रतिशत हो गई, हालांकि शहरी युवा बेरोजगारी 17 प्रतिशत के उच्च  स्तर पर बनी हुई है। चालू खाते के घाटे में कमी और मजबूत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह के साथ, विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के शुरुआत में $670.1 बिलियन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो 11 महीने से अधिक के कवर (वित्त वर्ष 23/24 के आयात के संदर्भ में) के बराबर है।

चुनौतीपूर्ण बाहरी परिस्थितियों में, विश्‍व बैंक को आशा है कि भारत की विकास दर मध्य अवधि का दृष्टिकोण सकारात्मक बना रहेगा। वित्त वर्ष 2024-25 में विकास दर 7 प्रतिशत तक पहुंचने और वित्त वर्ष 25-26 और वित्त वर्ष 26-27 में मजबूत रहने का अनुमान है। मजबूत राजस्व वृद्धि और आगे राजकोषीय समेकन के साथ, ऋण-से-जीडीपी अनुपात वित्त वर्ष 2023-24 में 83.9 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 26-27 तक 82 प्रतिशत होने का अनुमान है। वित्‍त वर्ष 26-27 तक चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1-1.6 (तालिका नीचे दी गई है) प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

आईडीयू, विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डालता है। वैश्विक व्यापार परिदृश्य में हाल के वर्षों में संरक्षणवाद में वृद्धि देखी गई है। महामारी के बाद वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के पुनर्निर्माण ने, जो महामारी के कारण उत्पन्न हुआ, भारत के लिए अवसर पैदा किए हैं। रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि भारत ने राष्ट्रीय रसद नीति और डिजिटल पहल के माध्यम से अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया है जिससे व्यापार लागत में कमी आ रही है। हालांकि, यह भी विचारणीय है कि टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाऐं बढ़ गई हैं और ये व्यापार केंद्रित निवेश की संभावना को सीमित कर सकती हैं।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक ऑगस्टे तानो कौमे के अनुसार - "भारत की मजबूत विकास संभावनाओं के साथ-साथ मुद्रास्फीति में गिरावट से अत्यधिक गरीबी को कम करने में मदद मिलेगी।" “भारत अपनी वैश्विक व्यापार क्षमता का उपयोग करके अपने विकास को और बढ़ावा दे सकता है। आईटी, व्यावसायिक सेवाओं और फार्मा के अलावा जहां यह उत्कृष्ट है, भारत कपड़ा, परिधान और जूता क्षेत्रों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों में निर्यात बढ़ाकर अपनी निर्यात नीति में विविधता ला सकता है।

इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू) व्यापार लागत, व्यापार बाधाओं को कम करके और व्यापार एकीकरण को बढ़ाकर  भारत के $1 ट्रिलियन व्यापारिक निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने के लिए त्रिस्‍तरीय दृष्टिकोण की सिफारिश करता है।  

नोरा डिहेल और रैन ली, रिपोर्ट के सह-लेखक, वरिष्ठ अर्थशास्त्री के अनुसार “उत्पादन की बढ़ती लागत और घटती उत्पादकता के साथ, वैश्विक परिधान निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2018 में 4 प्रतिशत से घटकर 2022 में 3 प्रतिशत हो गई है।, “अधिक व्यापार-संबंधी नौकरियां पैदा करने के लिए, भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अधिक एकीकृत हो सकता है जो नवाचार और उत्पादकता वृद्धि के अवसर भी पैदा करेगा।” 

 

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