आज विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने भारत में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर में मदद के लिए 25.5 करोड़ डॉलर के ऋण को मंजूरी दी अगले पांच सालों में यह परियोजना देश भर के चुने हुए राज्यों में लगभग 275 सरकारी तकनीकी संस्थानों को सहायता प्रदान करेगी, जिससे हर साल 350,000 से अधिक छात्रों को लाभ होगा।
भारत में उच्च शिक्षा हासिल करने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है । जहां 2011- 12 में उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकित छात्रों की संख्या लगभग 3 करोड़ थी, वहीं 2019-20 में देश भर के 40,000 संस्थानों में लगभग 4 करोड़ लोग उच्च शिक्षा हासिल कर रहे थे। भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, लेकिन हालिया अध्ययनों से यह पता चला है कि तकनीकी और गैर-तकनीकी कौशल जैसे रीजनिंग, इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन और कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन में मौजूदा अंतराल काफ़ी बढ़ गया है।
बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान, उद्यमशीलता और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए तकनीकी शिक्षा परियोजना को और बेहतर बनाया जा सकता है, जो छात्रों के कौशल और उनकी रोज़गार हासिल करने की क्षमता में सुधार के अलावा तकनीकी संस्थानों के प्रशासन को और बेहतर बनाने में सहयोग करती है। परियोजना के एक हिस्से के रूप में, छात्रों को क्लाइमेट रेजिलियंस (जलवायु लचीलापन) और संचार क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकी समेत नए पाठ्यक्रमों में शिक्षा हासिल करने का अवसर प्राप्त होगा। उन्हें इंटर्नशिप और प्लेसमेंट से जुड़ी बेहतर सुविधाओं का भी फ़ायदा हासिल होगा, जिसमें व्यावसायिक संगठनों के साथ संपर्क स्थापित करने के अवसर शामिल हैं।
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्ट तानो कुआमे कहते हैं, "भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से उभरने वाली तृतीयक शिक्षा प्रणालियों में से एक है। यह परियोजना भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में मदद करेगी, जो नौकरियों और उद्यमों के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए शिक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के आधुनिकीकरण की बात करती है। तकनीकी शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। "
परियोजना के तहत इसमें भाग लेने वाले शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर ऐसे आउटरीच कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जहां महिलाओं छात्रों, माता-पिता एवं अभिवावकों को तकनीकी शिक्षा कार्यक्रमों से जुड़े विभिन्न विकल्पों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी, लैंगिक मुद्दों पर संवेदनशीलता को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा और स्टेम क्षेत्रों (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में महिलाओं की क्षमताओं के बारे में गलत धारणाओं को दूर किया जाएगा। महिला छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए और काम की दुनिया में अनुभव हासिल करने के लिए सलाहकारों और पुराने छात्रों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। वर्तमान में, इंजीनियरिंग से स्नातक कर रही महिला छात्रों की संख्या 30 प्रतिशत से भी कम है, जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को दोहरी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि भारत में अनुसंधान और नवाचार में सुधार का मुद्दा उसके उद्योग और समाज से सीधे तौर पर जुड़ा है। पिछले 2 सालों में 9,581 तकनीकी शिक्षा संस्थानों में से केवल 504 छात्रों ने कम से कम एक स्टार्टअप की शुरुआत की है, और महज़ 525 छात्रों ने दो से चार स्टार्टअप प्रोजेक्ट की स्थापना की है। यह परियोजना जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ ऊर्जा जैसे उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में सहयोग करेगी।
परियोजना के टास्क टीम लीडर, अर्नहोल्ड और नम्रता टोगनट्टा, का कहना है, "यह परियोजना अपने से जुड़े संस्थानों को स्व-मूल्यांकन, संस्थागत गुणवत्ता से जुड़ी नीतियों के निर्माण और शैक्षणिक मान्यता के लिए तैयार करने के लिए संबंधित क्षमता निर्माण में सहयोग प्रदान करेगी, जिससे उन्हें अपने आंतरिक तंत्र और प्रशासन को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। राज्य स्तर पर, शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए क्वालिटी एश्योरेंस सेल की स्थापना की जाएगी ताकि इन संस्थानों को और अधिक स्वायत्त और मज़बूत बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करने के अलावा उन्हें शिक्षा और रोज़गार से संबंधी बेहतर परिणामों के लिए तैयार किया जा सके। "
अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (आईआरडीबी) द्वारा दिए गए 25.5 करोड़ डॉलर के ऋण की अंतिम परिपक्वता अवधि 14 साल है, जिसमें पांच साल की छूट अवधि भी शामिल है।