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प्रेस विज्ञप्ति30 नवंबर, 2022

भारत में 1.6 ट्रिलियन डॉलर निवेश का अवसर पैदा कर सकता है हरित कूलिंग मार्ग : विश्व बैंक की रिपोर्ट

World Bank report proposes a roadmap to support the ICAP’s new investments in three major sectors: building construction, cold chains, and refrigerants.

नई दिल्ली, 30 नवंबर, 2022 - विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि चूंकि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है, इसलिए स्थानों को ठंडा रखने के लिए वैकल्पिक और नवीन ऊर्जा कुशल तकनीकों का उपयोग करने से वर्ष 2040 तक 1.6 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का अवसर बन सकता है। इसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को उल्लेखनीय रूप से कम करने और लगभग 37 लाख रोजगार सृजित करने की क्षमता भी है।

भारत हर साल उच्च तापमान का अनुभव कर रहा है। वर्ष 2030 तक, देशभर में सालाना 16-20 करोड़ से अधिक लोग घातक गर्मी की लहरों के संपर्क में आ सकते हैं। गर्मी से उत्पादकता में गिरावट के कारण भारत में लगभग 3.4 करोड़ लोगों की नौकरी चली जाएगी। माल-परिवहन के दौरान गर्मी के कारण मौजूदा खाद्य नुकसान सालाना लगभग 13 अरब डॉलर का है। वर्ष 2037 तक कूलिंग की मांग मौजूदा स्तर से आठ गुना ज्यादा होने की संभावना है। इसका मतलब है कि हर 15 सेकंड में एक नए एयर-कंडीशनर की मांग होगी, जिससे अगले दो दशकों में वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 435 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।

"भारत के शीतलन क्षेत्र में जलवायु निवेश के अवसर" नामक रिपोर्ट में पाया गया है कि एक अधिक ऊर्जा कुशल मार्ग पर जाने से अगले दो दशकों में अनुमानित सीओ2 स्तरों में पर्याप्त कमी आ सकती है।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्ट तानो कोउआमे ने कहा, "भारत की शीतलन रणनीति जीवन और आजीविका को बचाने में मदद कर सकती है, कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकती है और इसके साथ ही भारत को हरित कूलिंग निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती है।" उन्होंने कहा कि "शीतलन के लिए रिपोर्ट एक स्थायी रोडमैप का सुझाव देती है जिसमें 2040 तक सालाना 30 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने की क्षमता है।"

इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, भारत पहले से ही लोगों को बढ़ते तापमान के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए नई रणनीतियां लागू कर रहा है। वर्ष 2019 में इसने इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) लॉन्च किया, जिसमें इमारतों में इनडोर कूलिंग और कोल्ड चेन एवं कृषि और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में रेफ्रिजरेशन और यात्री परिवहन में एयर कंडीशनिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्थायी कूलिंग समाधान उपलब्ध कराए गए। इसका लक्ष्य 2037-38 तक कूलिंग की मांग को 25 प्रतिशत तक कम करना है।

विश्व बैंक की नई रिपोर्ट में तीन प्रमुख क्षेत्रों : भवन निर्माण, कोल्ड चेन और रेफ्रिजरेंट में आईसीएपी के नए निवेश का समर्थन करने के लिए एक रोडमैप का प्रस्ताव है।

निजी और सरकारी, दोनों द्वारा वित्तपोषित निर्माण में मानक के रूप में जलवायु-उत्तरदायी कूलिंग तकनीकों को अपनाना यह सुनिश्चित कर सकता है कि आर्थिक रूप से पिछड़ी आबादी बढ़ते तापमान से असमान रूप से प्रभावित नहीं होती है। रिपोर्ट बताती है कि गरीबों के लिए भारत का किफायती आवास कार्यक्रम, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), इस तरह के बदलावों को बड़े पैमाने पर अपना सकता है। इससे 1.1 करोड़ शहरी घरों और 2.9 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों, जिनका सरकार निर्माण करना चाहती है, को फायदा हो सकता है।

रिपोर्ट जिला कूलिंग प्रौद्योगिकियों में भी निजी निवेश की सिफारिश करती है। ये एक केंद्रीय संयंत्र में पानी ठंडा करते हैं जिसे बाद में भूमिगत इन्सुलेटेड पाइपों के माध्यम से कई इमारतों तक पहुंचाया जाता है। यह अलग-अलग इमारतों को ठंडा करने की लागत को कम करता है और सबसे कुशल पारंपरिक कूलिंग समाधान की तुलना में ऊर्जा बिल को 20-30 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

उच्च तापमान के कारण परिवहन के दौरान भोजन और दवा की बढ़ते बर्बादी को कम करने के लिए, रिपोर्ट कोल्ड चेन वितरण नेटवर्क में कमी को ठीक करने की सिफारिश करती है। प्री-कूलिंग और रेफ्रिजरेटेड परिवहन में निवेश करने से खाद्य हानि को लगभग 76 प्रतिशत कम करने और कार्बन उत्सर्जन को 16 प्रतिशत कम करने में मदद मिल सकती है।

भारत का लक्ष्य एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर में कूलैंट के रूप में उपयोग किए जाने वाले ओजोन-क्षयकारी हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और उपयोग को वर्ष 2047 तक समाप्त करना है। रिपोर्ट हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग करने वाले उपकरणों की सर्विसिंग, रखरखाव और निपटान में सुधार के साथ ही निम्न ग्लोबल वार्मिंग करने वाले वैकल्पिक उपायों की ओर बढ़ने की सिफारिश करती है। यह अगले दो दशक में प्रशिक्षित तकनीशियनों के लिए 20 लाख नौकरियां पैदा कर सकता है और रेफ्रिजरेंट की मांग में लगभग 31 प्रतिशत तक की कमी ला सकता है।

रिपोर्ट के लेखक, जलवायु एवं आपदा जोखिम प्रबंधन, दक्षिण एशिया के प्रैक्टिस मैनेजर आभास के. झा और विश्व बैंक के जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ मेहुल जैन कहते हैं कि "नीतिगत कदमों और सार्वजनिक निवेश का सही संयोजन इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजी निवेश का लाभ उठाने में मदद कर सकता है। हम सिफारिश करते हैं कि भारत में बढ़ते तापमान से उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करने के लिए इन कदमों को एक प्रमुख सरकारी मिशन बनाकर तेज किया जाए"।

 

संपर्क

नई दिल्ली
सुदीप मजुमदार
+91-11-41479210
वाशिंगटन
डायना चुंग
+1 202 473 8357

Challenges and opportunities from rising temperatures in India

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