वाशिंगटन, जून 29, 2022 – विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने आज भारत सरकार (जीओआई) को 75 करोड़ डॉलर के विकास नीति ऋण (डीपीएल) को मंजूरी दे दी है। इससे बुनियादी ढांचे, छोटे व्यवसायों और हरित वित्त बाजारों में निजी क्षेत्र के निवेश का लाभ उठाकर वित्तपोषण की कमी को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों का समर्थन किया जा सकेगा।
पिछले एक दशक में और अपने महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों के तहत, भारत सरकार ने वित्तीय समावेशन के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र और घरेलू पूंजी बाजारों की स्थिरता में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं। इसके परिणामस्वरूप कोविड-19 संकट और अन्य बाहरी झटकों का सामना करने के लिए यह क्षेत्र अधिक कुशल और लचीला बन गया है।
इस प्रगति के बावजूद, अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों के लिए सार्वजनिक संसाधनों और वित्तीय जरूरतों पर काफी दबाव बना हुआ है। बुनियादी ढांचे और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए वार्षिक वित्त का अंतर जीडीपी के 4 प्रतिशत और क्रमशः ₹ 18-25 ट्रिलियन [1] के बीच होने का अनुमान है। इसके अलावा, विश्व बैंक के अनुमान बताते हैं कि सरकार की COP26 प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा संक्रमण के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत के वार्षिक संचयी निवेश की आवश्यकता होगी।
भारत के लिए विश्व बैंक के कार्यवाहक देश निदेशक हिदेकी मोरी ने कहा कि " महामारी के झटकों से भारत को उबारने का समर्थन करने और अपने महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश की निवेश जरूरतों को पूरा करने में सक्षम कुशल वित्तीय प्रणाली सबसे महत्वपूर्ण है।" उन्होंने कहा कि "इस परिचालन का उद्देश्य देश के विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए निजी संसाधनों का लाभ उठाकर सार्वजनिक वित्त पर दबाव को कम करना है।"
डीपीएल द्वारा समर्थन दिए जाने वाले प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:
- लंबी अवधि के निजी क्षेत्र वित्त को उत्प्रेरित करना। परिचालन बुनियादी ढांचे के लिए एक नया विकास वित्तीय संस्थान स्थापित करने में मदद करेगा जो निजी क्षेत्र से दीर्घकालिक वित्त का लाभ उठाएगा; परिसंपत्ति मुद्रीकरण के जरिए बुनियादी ढांचे के लिए निजी वित्तपोषण एकत्र करेगा, और प्रतिभूतिकरण के जरिये आवास वित्त उधारदाताओं को पूंजी बाजार से जोड़ेगा।
- हरित वित्त के लिए बाजारों का विकास करना। परिचालन देश के पहले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने और निम्न कार्बन विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय कार्बन बाजार विकसित करने का समर्थन करता है।
- एमएसएमई और महिला उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुंच में सुधार करना। यह परिचालन प्रमुख एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजनाओं को मजबूत करने का समर्थन करता है ताकि कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित उद्योग क्षेत्रों की निरंतर पहुंच सुनिश्चित की जा सके और साथ ही जोखिम-मुक्ति तंत्र के जरिए महिला उधारकर्ताओं की ऋण तक पहुंच में सुधार किया जा सके।
टीम टास्क लीडर और प्रमुख वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ मेहनाज़ एस. सेफेवियन और अलेक्जेंडर पंकोव ने कहा कि "भारत जलवायु परिवर्तन के अत्यधिक प्रभावों के चपेट में होने के कारण, अर्थव्यवस्था को अधिक टिकाऊ और लचीला विकास मॉडल को अपनाना होगा जिसके लिए सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों के वित्त को जुटाए जाने की आवश्यकता है। " उन्होंने कहा कि "जलवायु अनुकूलन और शमन उद्देश्यों के लिए धन जुटाने के लिए नए उपकरणों का निर्माण देश के सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देगा।"
75 करोड़ डॉलर के वादे में से, 66.7 करोड़ डॉलर इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से ऋण के रूप में होगा, और 8.3 करेड़ डॉलर का वित्त पोषण विश्व बैंक की रियायती ऋण शाखा, अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) से एक क्रेडिट के जरिए किया जाएगा। ऋण और क्रेडिट क्रमशः आईबीआरडी शर्तों और आईडीए गैर-रियायती शर्तों पर होंगे, जिनकी अंतिम परिपक्वता 18.5 वर्ष होगी, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।
[1] भारत के एमएसएमई का वित्तपोषण: भारत में एमएसएमई की ऋण आवश्यकता का अनुमान, आईएफसी, 2018