वाशिंगटन, जून 28, 2022 – विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने आज भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को समर्थन और बढ़ावा देने, प्रत्येक के लिए 50 करोड़ डॉलर के दो पूरक ऋणों को मंजूरी दी। 1 अरब डॉलर के इस संयुक्त वित्तपोषण के जरिए, बैंक भारत के प्रमुख कार्यक्रम प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) का समर्थन करेगा, जिसे अक्टूबर 2021 में देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए लागू किया गया था। राष्ट्रीय स्तर के हस्तक्षेपों के अलावा, इनमें से एक ऋण आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित सात राज्यों को प्राथमिकता देगा।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के प्रदर्शन में समय के साथ सुधार हुआ है। विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, भारत की जीवन प्रत्याशा (1990 में 58 से बढ़कर 2020 में 69.8 हो गई है) देश के आय स्तर के औसत से अधिक है। पांच साल से कम उम्र की मृत्यु दर (36 प्रति 1,000 जीवित जन्म), शिशु मृत्यु दर (30 प्रति 1,000 जीवित जन्म), और मातृ मृत्यु अनुपात (103 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म), ये सभी भारत के आय स्तर के औसत के करीब हैं, जो कुशल जन्म देखभाल, टीकाकरण, और अन्य प्राथमिकता सेवाओं तक पहुंच में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को दर्शाते हैं।
भारतीय आबादी के स्वास्थ्य में इस प्रगति के बावजूद, कोविड-19 ने मुख्य सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों के पुनरोद्धार, सुधार और क्षमता विकसित करने साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा वितरण की गुणवत्ता और व्यापकता में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
भारत में विश्व बैंक के कार्यवाहक देश निदेशक हिदेकी मोरी ने कहा, "कोविड-19 के प्रकोप ने भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रदर्शन बेहतर करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों की आवश्यकता पर फिर से जोर दिया है।" उन्होंने कहा कि “महामारी से उबरने के बावजूद अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए जल्दी और महत्वपूर्ण रूप से निवेश करने का भारत का निर्णय एक शुरुआती चयन है और हम इस महत्वपूर्ण एजेंडे का समर्थन करके प्रसन्न हैं।”
सार्वभौमिक कवरेज में तेजी लाने, गुणवत्ता में सुधार करने और भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की लचीलापन और तैयारियों में वृद्धि के लिए भारत सरकार के सुधार एजेंडे का समर्थन करते हुए दोनों ऋणों, महामारी तैयारी कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (पीएचएसपीपी) और उन्नत स्वास्थ्य सेवा वितरण कार्यक्रम (ईएचएसडीपी), को पूरक और प्रभाव में परिवर्तनकारी स्वरूप में डिज़ाइन किया गया है।
विश्व बैंक के मानव विकास के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय निदेशक लिन शेरबर्न-बेंज ने कहा, "दोनों कार्यक्रम अधिक सुलभ, उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं के विकास का समर्थन करने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों की अनूठी ताकत का लाभ उठाते हैं।" उन्होंने कहा कि "मजबूत रोग प्रतिक्रिया पर ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने से बीमारी के भावी प्रकोप की तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार होगा।"
पीएचएसपीपी सरकार के इन प्रयासों का समर्थन करेगी :
- संभावित अंतरराष्ट्रीय स्तर की चिंताजनक महामारियों का पता लगाने और रिपोर्ट करने, त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने और रोगजनकों के उद्भव को रोकने के लिए तैयार रहने के लिए भारत की निगरानी प्रणाली को तैयार करना;
- जूनोटिक रोगों सहित रोगजनकों का पता लगाने के लिए भारत की क्षमता में वृद्धि करना, भारत की जैव-सुरक्षा प्रतिक्रिया को सूचित रखना और संक्रामक रोगों को रोकने, पता लगाने या इलाज करने के लिए और नई प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण; और
- कार्यक्रम को लागू करने और उच्च गुणवत्ता वाले परिणाम देने के लिए प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों के बीच समन्वय को मजबूत करना और उनकी संस्थागत क्षमता का निर्माण करना।
ईएचएसडीपी सरकार के इन प्रयासों का समर्थन करेगी:
- पुन: डिज़ाइन किए गए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल मॉडल के जरिए सेवा वितरण को मजबूत करना, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक बेहतर घरेलू पहुंच, घरों के नियमित दौरों के जरिए प्रत्येक घर और इसकी प्राथमिक देखभाल सुविधा के बीच मजबूत संबंध बनाना और गैर-संचारी रोगों का जोखिम मूल्यांकन शामिल है;
- सभी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्लूसी) में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाणीकरण का समर्थन करके देखभाल की गुणवत्ता में सुधार, रोगी अनुभव सहित देखभाल की गुणवत्ता के लिए मापन उपकरणों को लागू करना, और सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए राज्य-विशिष्ट मानव संसाधन रणनीतियों को अपनाकर स्वास्थ्य कार्यबल को मजबूत करना; तथा
- कार्यान्वयन क्षमता को मजबूत करके, जिला स्तर पर प्रदर्शन मापन और पुरस्कारों को बढ़ाकर, और राज्यों के बीच सीखने और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य क्षेत्र के शासन और जवाबदेही का कायाकल्प।
पीएचएसपीपी और ईएचएसडीपी, दोनों परिणाम के लिए कार्यक्रम वित्तपोषण सुविधा का उपयोग करते हैं जो इनपुट के बजाय परिणामों की उपलब्धि पर केंद्रित है। इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) के पीएचएसपीपी और ईएचएसडीपी, दोनों ऋणों की अंतिम परिपक्वता अवधि 18.5 वर्ष है, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।