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प्रेस विज्ञप्ति24 जून, 2022

विश्व बैंक ने भारत की सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए 25 करोड़ डॉलर के कार्यक्रम को मंजूरी दी

नई दिल्ली, 27 जून, 2022 - विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत सरकार के कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए 25 करोड़ डॉलर के वित्तपोषण को मंजूरी दी है। विश्व बैंक परियोजना भाग लेने वाले राज्यों को बेहतर सड़क सुरक्षा प्रबंधन एवं संस्थागत सुधार और उच्च जोखिम वाली सड़कों पर परिणाम-आधारित हस्तक्षेप के जरिए सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों और घायलों को कम करने में मदद करेगी। यह दुर्घटना के बाद की देखभाल के लिए आपातकालीन चिकित्सा और पुनर्वास सेवाओं को भी मजबूत करेगी।

दुनिया में भारत के वाहनों की हिस्सेदारी केवल 1 प्रतिशत है,, लेकिन दुर्घटना से संबंधित सभी मौतों में लगभग 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है। गरीब परिवार आय की हानि (दुर्घटना पीड़ितों में 70 प्रतिशत से अधिक गरीब परिवारों से हैं), उच्च चिकित्सा व्यय और सामाजिक सुरक्षा जाल तक सीमित पहुंच के कारण उच्च अनुपात में सड़क दुर्घटनाओं के सामाजिक-आर्थिक बोझ का सामना करते हैं। विश्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं से भारतीय अर्थव्यवस्था को सालाना सकल घरेलू उत्पाद के 5 से 7 प्रतिशत के बीच चोट लगने का अनुमान है। आधिकारिक सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1,50,000 लोग मारे जाते हैं और 4,50,000 अन्य लोग घायल होते हैं। पीड़ितों में से आधे से अधिक पैदल चलने वाले, साइकिल चालक या मोटर साइकिल चालक हैं और सभी मारे गए लोगों में से लगभग 84 प्रतिशत 18-60 वर्ष की कामकाजी उम्र के सड़क उपयोगकर्ता होते हैं।

विश्व बैंक इंडिया के कार्यवाहक देश निदेशक हिदेकी मोरी ने कहा कि "विश्व बैंक की भारत सड़क सुरक्षा परियोजना देश में सुरक्षित सड़कों, वाहनों और प्रवर्तन के लिए कुशल संस्थागत तंत्र बनाकर सड़क दुर्घटनाओं की घटनाओं को कम करने के भारत सरकार के प्रयासों का समर्थन करेगी और सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को मौके पर बेहतर देखभाल प्रदान करने के प्रयासों को मजबूत करेगी। ” उन्होंने कहा कि "इससे विशेष रूप से गरीबों और अर्थव्यवस्था एवं मानव पूंजी पर सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।"

विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित सड़क सुरक्षा के लिए भारत राज्य सहायता कार्यक्रम  आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में लागू किया जाएगा।

सड़क सुरक्षा हस्तक्षेप भारत में एक अनूठी चुनौती का सामना करते हैं क्योंकि प्रबंधन सरकार के विभिन्न स्तरों में फैला हुआ है। यह परियोजना इन राज्यों में सड़क सुरक्षा के लिए प्रमुख एजेंसियों की प्रबंधन क्षमता को मजबूत और सुव्यवस्थित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए, यह परियोजना एक राष्ट्रीय सामंजस्यपूर्ण क्रैश डेटाबेस प्रणाली स्थापित करेगी, जिसका विश्लेषण बेहतर और सुरक्षित सड़कों के निर्माण के लिए किया जाएगा।

महिलाएं सड़क हादसों का खामियाजा अप्रत्यक्ष रूप से भुगतती हैं। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, परियोजना में जेंडर पर विशेष ध्यान दिया गया है और यह सड़क सुरक्षा क्षेत्र में प्रबंधन भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देगी। यह परियोजना विशेष रूप से दुर्घटना के केयर कमांड और नियंत्रण केंद्रों में महिलाओं के लिए रोजगार अवसर भी प्रदान करेगी।

दुर्घटना के बाद की घटनाओं को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए, परियोजना सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए अस्पताल पूर्व आपातकालीन देखभाल सेवाओं को मजबूत करने में मदद करेगी। इसमें एकल दुर्घटना रिपोर्टिंग संख्या स्थापित करना, बुनियादी और उन्नत जीवन रक्षक एम्बुलेंस के नेटवर्क को बढ़ाना और सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मौके पर ही सबसे पहले प्राथमिक देखभाल करने वालों को प्रशिक्षण देना शामिल है।

यह परियोजना राज्यों को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) रियायतों और परीक्षण पहलों के जरिए निजी वित्त पोषण का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहन भी प्रदान करेगी।

परियोजना के टास्क टीम लीडर दीपन बोस, अर्नब बंद्योपाध्याय और सुरेश कुन्ही मोहम्मद ने बताया कि “भारतीय राज्य सड़क सुरक्षा परियोजना परिणाम-आधारित दृष्टिकोण के जरिए सड़क सुरक्षा कार्यक्रमों की डिजाइन, समन्वय और संचालन को बेहतर बनाने में केंद्र एवं राज्य सरकारों की मदद करेगी।” उन्होंने कहा कि "कार्यक्रम परिणाम-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके संस्थागत तंत्र, सड़क सुरक्षा इंजीनियरिंग, प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल में महत्वपूर्ण सुधारों को प्रेरित करेगा।"

इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 25 करोड़ डॉलर के वैरिएबल स्प्रेड ऋण की परिपक्वता अवधि 18 वर्ष है जिसमें 5.5 वर्ष की छूट अवधि शामिल है।

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