प्रेस विज्ञप्ति

विश्व बैंक अध्यक्ष जिम किम उत्तर प्रदेश के दौरे पर

12 मार्च, 2013



विश्व बैंक उत्तर प्रदेश को दी जाने वाली सहायता में वृद्धि करेगा

आज विश्व बैंक ग्रुप के अध्यक्ष जिम योंग किम ने उत्तर प्रदेश सरकार के विशेषकर ग्रामीण और शहरी अवसंरचना के लिए विकास सहायता में बढ़ोतरी करने के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की।  

इसके पूर्व विश्व बैंक ग्रुप के अध्यक्ष के साथ बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें सरकार की विकास-संबंधी प्राथमिकताओं की जानकारी दी और अगले तीन-चार वर्षों के दौरान 3.5 अरब डॉलर से अधिक की सहायता देने को कहा। इसके अलावा, राज्य को इस अवधि के दौरान उन परियोजनाओं के ज़रिये 1.6 अरब डॉलर से अधिक की सहायता भी मिलेगी, जो पहले से तैयारी के चरण में हैं। इन अनुरोधों को औपचारिक तौर पर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक विभाग के  सामने रखा जाएगा।

किम एक दिन के दौरे पर उत्तर प्रदेश आए हैं, जो देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जिसमें सबसे ज़्यादा ग़रीब रहते हैं। वे राज्य के समक्ष मौजूद आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे तथा पता लगाएंगे कि विश्व बैंक ग्रुप किस प्रकार राज्य की विकास-संबंधी कार्यसूची को सर्वोत्तम ढंग से समर्थन दे सकता है।

मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार अपनी जनता के लिए उच्च संवृद्धि अर्जित करने का प्रयास कर रही है। राज्य के सामने विशेष रूप से अवसंरचना के क्षेत्रों में उल्लेखनीय चुनौतियां मौजूद हैं, जैसे सड़कें, जल आपूर्ति और सफ़ाई, शहरी परिवहन और बिजली। उन्होंने आगे कहा, आज की गई घोषणाओं से उत्तर प्रदेश के विकास कार्यक्रम में विश्व बैंक की संवर्द्धित भागीदारी का पता चलता है, जिसका लक्ष्य ग़रीबी से तेज़ी और अत्यंत कारगर ढंग से निपटना है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मांगी गई सहायता में राज्य की सड़कों के लिए 1.5 अरब डॉलर (तीन चरणों में से प्रत्येक में 50 करोड़ डॉलर) और शहरी व्यवस्थाओं का सुदृढ़ीकरण और इनकी स्थापना करने के लिए 1 अरब डॉलर शामिल हैं। अन्य विचाराधीन परियोजनाएं बिजली, नगरपालिका के सॉलिड वेस्ट-प्रबंधन औऱ पर्यटन के क्षेत्रों में हैं।

किम ने कहा, “अगर उत्तर प्रदेश भारत के 6.6 करोड़ ग़रीबों का निवास-स्थान बना रहता है - जो किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक संख्या है – तो विश्व बैंक समूह का विश्व में ग़रीबी दूर करने और भागीदारी पर आधारित खुशहाली का मिशन पूरा नहीं हो सकता। हम उत्तर प्रदेश के लाखों-करोड़ों निवासियों, विशेषकर ग़रीबी की रेखा के नीचे रहने वाली जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने में सरकार की मदद करने के लिए वचनबद्ध हैं।” उन्होंने आगे कहा, “नई सरकार ने संवृद्धि के मार्ग में कुछ प्रमुख चुनौतियों की पहचान की है। ग्रामीण और शहरी अवसंरचना में निवेशों के ज़रिये इस विचार का समर्थन करते हुए हमें आशा है कि हम बेहतर रोज़गार और सेवाएं पाने में उत्तर प्रदेश की जनता की मदद कर सकेंगे।”

 उत्तर प्रदेश को उन परियोजनाओं के माध्यम से लगभग 1.6 अरब डॉलर की सहायता मिलने की आशा है, जो पहले से ही तैयारी के चरण में हैं। इसमें से 36 करोड़ डॉलर उत्तर प्रदेश जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना II के लिए होंगे। 1.24 अरब डॉलर  की शेष सहायता उत्तर प्रदेश को आच्छादित करने वाली राष्ट्रीय स्तर की या बहुराज्यीय परियोजनाओं से प्राप्त होगी। ये परियोजनाएं हैं – ईस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर (ईडीएफ़सी) का दूसरा चरण (1.05 अरब डॉलर), अल्प-आय वाले राज्यों के लिए ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता परियोजना (उत्तर प्रदेश का अंश – 15.5 करोड़ डॉलर) और अनौपचारिक बस्ती सुधार परियोजना (राज्य का अंश – 6 करोड़ डॉलर)।   

इस समय राज्य के हाथों दो परियोजनाएं हैं  – 19.6 करोड़ डॉलर की उत्तर प्रदेश सॉडिक भूमि-सुधार III परियोजना, तथा 14.8 करोड़ डॉलर की उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण परियोजना। इनके अलावा, उत्तर प्रदेश को इन दिनों चल रहीं राष्ट्रीय बहु-राज्यीय परियोजनाओं के अंश के रूप में लगभग 1.8 अरब डॉलर मिलते हैं, जिनमें राष्ट्रीय गंगा बेसिन परियोजना और ईडीएफ़सी - शामिल हैं, जिनका उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा लाभार्थी है।

विश्व बैंक अध्यक्ष दिन में उत्तर प्रदेश के एक गांव का दौरा करेंगे और ग्रामीण जीवन की उन वास्तविकताओं की जानकारी प्राप्त करेंगे, जो नगरों और कस्बों के लोगों को शहर जाने के लिए विवश कर सकती हैं। इसके बाद वे कानपुर जाएंगे और भारत की शहरी चुनौतियों की जानकारी पाने के लिए वहां एक निम्न-आय बस्ती का दौरा करेंगे। भारत की शहरी आबादी में प्रति वर्ष एक करोड़ की दर से बढ़ोतरी होने की आशा है, जिससे मकानों, रोज़गार और बुनियादी सुविधाओं की मांग में भी भारी वृद्धि होगी। वे यहां के निवासियों से मिलेंगे तथा जल आपूर्ति और सफ़ाई जैसी महत्तवपूर्ण सुविधाएं पाने के उनके प्रयासों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

कानपुर में किम को उन चुनौतियों की जानकारी दी जाएगी, जिनका सरकार को गंगा नदी को साफ़ करने के प्रयासों के दौरान सामना करना पड़ रहा है। विश्व बैंक 1 अरब डॉलर की लागत की परियोजना के ज़रिये गंगा को साफ़ करने के राष्ट्रीय मिशन का समर्थन कर रहा है। इस परियोजना को उत्तर प्रदेश समेत नदी-बेसिन वाले पांच राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है। कानपुर नगर नदी के नाज़ुक मध्यवर्ती इलाके में स्थित है, जहां प्रदूषण की मात्रा सबसे अधिक है।

वे इंटरनेशनल फ़ाइनैंस कार्पोरेशन (आईएफ़सी) द्वारा निजी क्षेत्र में समर्थित दो नई परियोजनाओं के अंतर्गत होने वाले कार्य को भी देखेंगे, ताकि इन्हें वित्त-पोषण के लिए शामिल किया जा सके। ये परियोजनाएं हैं – फ़ाइनैंस इन्क्लूज़न नेटवर्क एंड ऑपरेशंस प्रा. लिमिटेड (फ़िनो) और आधार हाउसिंग फ़ाइनैंस प्राइवेट लिमिटेड। जबकि फ़िनो बैंकों और उनके निर्धनतम ग्राहकों के बीच कम लागत पर विश्वसनीय वित्तीय लेन-देन के लिए बॉयोमीट्रिक कार्ड का इस्तेमाल करेगा, आधार हाउसिंग फ़ाइनैंस प्राइवेट लिमिटेड एक हाउसिंग फ़ाइनैंस कंपनी है, जो उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में निम्न-आय वाले परिवारों की सेवा करती है।

भारत विश्व बैंक ग्रुप का सबसे बड़ा ग्राहक है। 2009-2013 के बीच विश्व बैंक ग्रुप ने भारत को लगभग 25.5 अरब डॉलर का ऋण प्रदान किया। इसमें इंटरनेशनल बैंक फ़ॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 12 अरब डॉलर, इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईडीए) से 8.3 अरब डॉलर और इंटरनेशनल फ़ाइनैंस कार्पोरेशन (आईएफ़सी) से निवेश के तौर पर 5.2 अरब डॉलर शामिल हैं। जनवरी 2013 में 77 परियोजनाओं में आईबीआरडी और आईडीए की सकल वचनबद्धता (कमिटमेंट) 23.1 अरब डॉलर (आईबीआरडी 13.2 अरब डॉलर और आईडीए 9.9 अरब डॉलर) थी। जनवरी 2013 के अंत में आईएफ़सी के पोर्टफ़ोलिओ में 219 परियोजनाएं शामिल थीं, जिनके लिए वचनबद्धता और वितरण की धनराशि कुल मिलाकर 4.1 अरब डॉलर थी।

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प्रेस विज्ञप्ति नं:
03/12/13

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