राज्य में विश्व बैंक समूह की परियोजनाओं के लिए प्रस्तावित 1 अरब अमरीकी डॉलर की धनराशि में पहला कदम
नई दिल्ली/पटना, 12 जनवरी, 2011 - आज विश्व बैंक ने अगले कुछ वर्षों के दौरान बिहार सरकार को दी जाने वाली सहायता में वृद्धि करने के अपने इरादे का संकेत दिया, जिसका एक अंश भारत में गत 50 वर्षों की भीषणतम बाढ़ से हुए विनाश के बाद पुनर्निर्माण-संबंधी प्रयासों में मदद करने के लिए नियत है।
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष रॉबर्ट बी. ज़ोएल्लिक का सहायता-संबंधी प्रयास बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार तथा राज्य की यात्रा शुरू करते समय सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी बातचीत के बाद आया है।
पहले कदम के तौर पर दोनों ही बिहार कोसी रिकवरी परियोजना के लिए 22 करोड़ अमरीकी डॉलर की सहायता के लिए एक नए समझौते पर हस्ताक्षर होने दौरान मौजूद थे। इस परियोजना का उद्देश्य बाढ़ के प्रभाव से उबरने, बाढ़ से भावी जोखिम कम करने और भावी आपदाओं की स्थिति में आपात्कालीन प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देना है।
बिहार कोसी रिकवरी परियोजना राज्य के लिए प्रस्तावित नई परियोजनाओं की शृंखला में पहली है, जिसके लिए अगले चंद वर्षों में बिहार को पहले से अधिक सहायता के तौर पर लगभग एक अरब डॉलर मुहैया कराए जाएंगे। बैंक के संचालक-मंडल की स्वीकृति मिल जाने पर भावी परियोजनाओं में कृषि तथा सड़कों के साथ-साथ बाढ़-प्रबंधन और आपदा से निपटने की तैयारियों पर ध्यान दिया जाएगा।
मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "एक असाधारण..से राज्य में कई प्रमुख क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त हुआ है, लेकिन अभी भी काफी कुछ करना शेष रहता है। राज्य की ग्रामीण आबादी का विशाल भाग प्रति वर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाता है। विश्व बैंक और बिहार सरकार अपनी सशक्त भागीदारी को आगे ले जाना चाहते हैं, जिसकी शुरूआत पांच वर्ष पहले हुई थी। हम आपदा-प्रबंधन के साथ-साथ आर्थिक विकास के अन्य प्रमुख क्षेत्रों में बैंक के साथ पहले से अधिक काम का स्वागत करते हैं।"
रॉबर्ट ज़ोएल्लिक ने कहा, "बाढ़ों ने बिहार की जनता पर कहर बरपा किया है, जिसके बाद से दो वर्ष बीत चुके हैं। राहत-संबंधी व्यापक प्रयासों के बावजूद बहुतेरे लोग अभी तक अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं, वे रोज़ी-रोटी जुटाने में असमर्थ हैं, सड़कों और पुलों के नष्ट हो जाने से अलग-थलग पड़ गए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "काफी बड़ी संख्या में लोग प्रति वर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाने की आशंका से ग्रस्त रहते हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना से बिहार के साथ हमारे संबंधों में एक नया चरण शुरू होगा, जिससे राज्य की बड़े पैमाने पर आपदा-प्रबंधन की ज़रूरत पूरा करने में मदद मिलेगी।"
वर्ष 2008 की बाढ़ से बिहार के पांच राज्यों में लगभग 33 लाख लोग प्रभावित हुए। लगभग दस लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और करीब 4,60,000 लोगों को राहत शिविरों में अस्थाई तौर पर शरण दी गई। खेती पर निर्भर हज़ारों परिवारों को गाद जम जाने से अपने खेतों से हाथ धोना पड़ा, उनके मकानों और बुनियादी ढांचे (इंफ़्रास्ट्रक्चर) को भारी क्षति पहुंची। पहले से ही अभावग्रस्त ग्रामीण जनता के पास थोड़ा-बहुत जो कुछ था, वह भी नष्ट हो गया तथा वे और अधिक ग़रीबी में फंस गए।
नई परियोजना का उद्देश्य लगभग एक लाख मकानों, 90 पुलों और 290 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों के पुनर्निर्माण में सहायता देकर बिहार के बाढ़-प्रभावित लोगों की मदद करना है।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव वेणु राजमणि ने कहा, "बाढ़ों से जान-माल की भारी क्षति होती है। बिहार सरकार व्यापक स्तर पर पुनर्निर्माण और पुनर्वास प्रयासों में लगी है, लेकिन इस समय आपदा जोखिम प्रबंधन को राज्य की विकास रणनीति में शामिल करने पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जा रहा है।"
बिहार को विश्व बैंक की सहायता की शुरूआत वर्तमान दशक के मध्य में हुई और अवसंरचना (इंफ़्रास्ट्रक्चर) विकास और संबंधित प्रयासों को वित्तीय सहायता सुलभ कराने के साथ इसका विस्तार हुआ है, ताकि लोगों को रोज़ी-रोटी मिल सके मिल सके।
विश्व बैंक ग्रुप की निजी क्षेत्रीय संस्था इंटरनेशनल फ़ाइनैंस कार्पोरेशन (आईएफ़सी) के लिए बिहार एक प्राथमिकता-प्राप्त राज्य है।
आईएफ़सी के निदेशक (दक्षिण एशिया) थॉमस डेवेन्पोर्ट ने कहा, "हस्क पॉवर सिस्टम्स और एप्लाइड सोलर जैसी निजी क्षेत्र की संस्थाओं को सहायता देकर राज्य में चहुंमुखी, स्वच्छ और सतत वृद्धि को बढ़ावा देने वाले हमारे विस्तृत कार्यों से बिहार में बिजली ग्रिड के बाहर स्थित गांवों को मुनासिब दामों पर और पारिस्थितिकी के अनुकूल बिजली उपलब्ध कराने में सहायक नए-नए मॉडलों को बढ़ावा देने में मदद मिली है।"
छोटे और बड़े कारोबारों के लिए कर का भुगतान करने में लगने वाले समय और इस पर आने वाली लागत की बचत करते हुए भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कर-सुधार कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना और इसे क्रियान्वित करना तथा पूंजी-निवेश जुटाने के लिए मक्का और मुर्गीपालन के क्षेत्रों में सुधार करना बिहार सरकार के साथ आईएफ़सी के कामकाज में शामिल हैं।
आज आयोजित समारोह में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव वेणु राजमणि; बिहार के योजना आयोग के प्रमुख सचिव विजय प्रकाश और भारत में विश्व बैंक के कंट्री डाइरेक्टर रॉबर्टो ज़ाघा ने दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए।
हस्ताक्षर समारोह में रॉबर्टो ज़ाघा ने कहा, "बिहार सरकार की इसके पुनर्निर्माण-संबंधी प्रयासों में सहायता करने, अपने पिछले अनुभवों से मिली सीख को अपने प्रयासों में शामिल करने और आगे चलकर एक व्यापक आपदा प्रबंधन कार्यक्रम का विकास करने में राज्य की मदद करने पर हमें प्रसन्नता है। भावी जोखिमों को कम करने के लिए परियोजना का लक्ष्य है – बाढ़ों का शिकार होने की संभावना वाले इस राज्य की बाढ़-प्रबंधन क्षमता को सुदृढ़ करना और आपात्कालीन स्थिति में कारगर प्रतिक्रिया करने की इसकी क्षमता में सुधार करना।"
परियोजना का ब्यौरा
इस परियोजना के पांच प्रमुख घटक (कंपोनेंट) हैः
- मकान-स्वामी के सुझाव के अनुसार पुनर्निर्माण – मकान-स्वामी द्वारा सुझाए गए पुनर्निर्माण मॉडल पर लगभग 1 लाख परिवारों के क्षतिग्रस्त मकानों को नए सिरे से बनाना।
- सड़कों और पुलों का पुनर्निर्माण – क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों को नए सिरे से बनाकर संपर्क (कनेक्टिविटी) पुनः स्थापित करना।
- बाढ़-प्रबंधन क्षमता का सुदृढ़ीकरण – बाढ़-संबंधी पूर्वानुमान लगाने और बाढ़ से होने वाले भू-कटाव का प्रबंध करने की बिहार की क्षमता को सुदृढ़ करना।
- आजीविका की बहाली और इसका विस्तारः सामाजिक और वित्तीय पूंजी के गठन में मदद करना और प्रभावित व्यक्तियों की आजीविका को बहाल करना तथा इसके अवसर पैदा करना।
- आपात्कालीन प्रतिक्रिया क्षमता में सुधार करनाः भावी आपदाओं की स्थिति में कामकाज, सामग्री और आवश्यक सेवाओं के लिए आकस्मिक धनराशि मुहैया कराना।
यह क्रेडिट (ऋण) निर्धनतम लोगों के लिए विश्व बैंक के कोष इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईडीए) द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है, जो ब्याजमुक्त और 35 वर्षों में देय है और जिसका भुगतान 10 वर्ष बाद शुरू होगा।