भारत को विश्व में पसंदीदा व्यावसायिक केंद्र बनने के लिए एक कुशल लॉजिस्टिक्स क्षेत्र बनना महत्वपूर्ण होगा। इससे उत्पादन लागत कम होती है, व्यवसाय अधिक प्रतिस्पर्धी बनते हैं, और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जुड़ते हैं, जिससे मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलता है। यह क्षेत्र भारत के सबसे बड़े रोज़गार देने वालों में से एक है, जिसमें 2.2 करोड़ से अधिक लोग कार्यरत हैं।
वर्ष 2023 तक, भारत विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स निष्पादन सूचकांक (एलपीआई) में 139 देशों में 38वें स्थान पर था। यह वर्ष 2018 की रैंकिंग से छह स्थान ऊपर था। भारत ने अब वर्ष 2030 तक दुनिया के शीर्ष 25 देशों में स्थान बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी में 10% से कम हो जाएगी।
देश में लॉजिस्टिक्स को विकसित करने के लिए निर्णायक कदम उठाए गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों का अभूतपूर्व दर से विस्तार किया गया है, जो बंदरगाहों को आर्थिक गतिविधि के केंद्रों से जोड़ते हैं। रेलवे ने माल-कॉरिडोर का विद्युतीकरण करके विनिर्माण केंद्रों को पूर्वी और पश्चिमी तटों पर स्थित बंदरगाहों को जोड़ा है। लंबे समय से बंद पड़े भारतीय आंतरिक जलमार्गों का कायाकल्प किया जा रहा है। राष्ट्रीय जलमार्ग 1 सहित, कई मार्गों को मजबूत किया गया है, तथा माल को नदी-से-समुद्र के नए संयोजन मार्गों के माध्यम से ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान तथा राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति कुछ प्रमुख पहल हैं। पीएमगति शक्ति पहल 16 मंत्रालयों और विभागों के डेटा को एक भौगोलिक सूचना प्रणाली-आधारित प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करेगी जिससे मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की योजना और निष्पादन में बेहतर समन्वय हो सके।
बंदरगाह तथा सीमा शुल्क सेवाओं में भी उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं। अब माल की निकासी बहुत तेजी से होती है तथा कंटेनरों का सञ्चालन डिजिटल रूप से पता लगाया जा सकता है। आज, नवी मुंबई में न्हावा शेवा (जे एन) बंदरगाह पर जहाजों को माल उतारने और चढ़ाने में लगभग एक दिन लगता है। सिंगापुर, जो लोजिस्टिक्स में विश्व में अग्रणी है, 0.75 दिन लगता है। गुजरात को भारत के तटीय राज्यों में श्रेष्ट प्रदर्शन करने वाला राज्य माना गया है। उधर पश्चिम बंगाल अपनी रणनीतिक अवस्थिति का लाभ उठाते हुए लोजिस्टिक्स अवसंरचना तथा सेवाओं पर जोर दे रहा है।
फिर भी, राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत, लागत प्रभावी, विश्वसनीय और डिजिटल रूप से सक्षम लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र के विज़न को पूरा करने के लिए बड़े डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों का अधिक उपयोग किया जा सकता है।
सबसे पहले, पीएम गति शक्ति प्लेटफ़ॉर्म को देश भर में व्यापार प्रवाह की जानकारी के साथ जोड़ा जा सकता है। इससे योजनाकारों को माल और सेवा कर नेटवर्क और ई-वे बिल से उपलब्ध डेटा का पता लगाने में मदद मिलेगी। इस जानकारी से यह पता लगाया जा सकेगा कि बुनियादी ढांचे में किधर सुधार की आवश्यकता है।
दूसरे, मल्टीमॉडल लोजिस्टिक्स पार्क को रेलवे कॉरिडोर से जोड़कर, उनमे वेयरहाउस और डेटा सेंटर की सुविधायें प्रदान की जा सकती हैं। जिससे निजी क्षेत्र के सेवा सप्लाई करने वाले और निवेशक आकर्षित होंगे, तथा निर्माताओं को अंतिम छोर तक की कनेक्टिविटी मिलेगी।
तीसरे, देश के युवाओं को इस गतिशील उद्योग के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने की आवश्यकता होगी। महिलाओं को भी विशेष रूप से पैकेजिंग, छंटाई और वेयरहाउस प्रबंधन जैसे श्रमों में नई नौकरियों से लाभ मिल सकता है। लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल श्रमिकों को नई प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित कर रहा है ताकि उन्हें पूर्ण विकसित लॉजिस्टिक्स पेशेवर बनने में मदद मिल सके।
विश्व बैंक विभिन्न रेल, सड़क और अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाओं के माध्यम से भारत की सहायता कर रहा है। यह देश को अन्य उपायों के अलावा, डिजिटलीकरण में वृद्धि करने और व्यापार सेवाओं में सुधार करने में भी मदद कर रहा है। साथ में इस तेजी से विकसित हो रहे उद्योग के लिए कौशल विकास में सहायता कर रहा है।
अपने लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन को बेहतर बनाने के प्रयासों से भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा, नौकरियों में भी वृद्धि होगी, और देश और विदेश में एक लॉजिस्टिक्स हब के रूप में उभरने में सक्षम बनाएगा।
लेखक विश्व बैंक में भारत के कंट्री डायरेक्टर हैं।
यह विचार लेखन पहली बार अंग्रेजी अखबार फाइनेंसियल एक्सप्रेस के 17 जुलाई 2024 के अंक में प्रकाशित हुआ था।