सुपर साइक्लोन से ओडिशा को तबाह हुए पच्चीस साल हो चुके हैं। लगभग 1.8 करोड़ लोग प्रभावित हुए, 10,000 से अधिक बहुमूल्य जानें गईं और अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।
पर यह घटना ओडिशा के विकास पथ में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। चक्रवात-संवेदी राज्य ने 'शून्य-मानव हताहतों' का लक्ष्य निर्धारित कर अपने लोगों को भविष्य की आपदाओं से बचाने का संकल्प लिया और आपदा प्रबंधन में वैश्विक मार्गदर्शक के रूप में भी उभरा।
आज, ओडिशा में प्रतिरोधक्षमता है। वर्षों के नियोजन और तैयारी का फल यह मिला कि शक्तिशाली चक्रवातों से होने वाली मौतें कभी भी दोहरे अंक को पार नहीं कर पाई है । शक्तिशाली चक्रवात फैलिन ने जब 2013 में ओडिशा तट पर हमला किया, तो चक्रवात से पहले करीब 10 लाख लोगों को निकाल कर ओडिशा ने दुनिया में सबसे सफल आपदा प्रबंधन प्रयासों में से एक को अंजाम दिया। 2019 में, जब एक और शक्तिशाली चक्रवात फानी आया, तो ओडिशा सरकार ने उच्च स्तर की तैयारी दिखाई और इन पूर्वानुमानों के आधार पर लगभग 12 लाख लोगों को प्रभावी ढंग से निकाला।
सुपर चक्रवात के मद्देनजर, 1999 में, ओडिशा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थापित करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया। वास्तव में, निकाय, जिसे अब ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) के रूप में जाना जाता है, की स्थापना 2005 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की स्थापना से काफी पहले की गई थी।
महत्वपूर्ण है कि राज्य ने स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन प्रयासों में जोड़ा जो की पारंपरिक दृष्टिकोण से बिलकुल अलग था । ग्राम पंचायतों, महिला स्वयं सहायता समूहों और स्वयंसेवकों के 100,000 से अधिक के कैडर को आपदा जोखिम को कम करने और बचाव एवं राहत कार्यों का प्रबंधन करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। यहां तक कि अब भी, हर जून और नवंबर में, ओएसडीएमए कई सरकारी विभागों, जिला कलेक्टरों, ग्राम पंचायतों, गैर सरकारी संगठन और हजारों प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को व्यापक अभ्यास में शामिल करके राज्य भर में दो व्यापक समुदाय-आधारित मॉक ड्रिल आयोजित करता है।
लेकिन समुदायों को सशक्त बनाना समाधान का सिर्फ एक हिस्सा है। आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे का निर्माण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। चूंकि इसके लिए कई सरकारी विभागों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है, इसलिए ओएसडीएमए ने लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा करने वाले महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को स्थापित करने का बीड़ा उठाया है। कई अन्य बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ, विश्व बैंक को प्रारंभिक वर्षों में इसे मजबूत करने में ओएसडीएमए के साथ साझेदारी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
सर्वोत्तम तकनीकी विशेषज्ञता के आधार पर, ओएसडीएमए ने राज्य की पूरी तटरेखा पर निकासी सड़कों के साथ-साथ 800 से अधिक बहुउद्देश्यीय चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया है। तटीय गांवों को समुद्र के प्रवेश से बचाने के लिए तटबंध भी बनाए जा रहे हैं। कई कमजोर परिवारों को घास की झोपड़ियों से नए बहु-जोखिम आपदा-प्रतिरोधक्षमता वाले घरों में स्थानांतरित करने में मदद की गई है।
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ओडिशा पहला भारतीय राज्य है जिसने आखिरी छोर तक आपदा-संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्रसारित करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली बनाई है। राज्य के सभी तटीय जिलों के लगभग 1,200 गांवों को अब सायरन और सामूहिक संदेश के जरिए चक्रवात या सुनामी की चेतावनी मिलती है। 120 से अधिक तटीय स्थानों पर निगरानी टावरों के साथ यह प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, ओडिशा की आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया का आधार बनाती है।
आज, लचीले बुनियादी ढांचे और लचीले समुदाय, दोनों के निर्माण में दो दशकों की दृढ़ता ने राज्य को अच्छी स्थिति में खड़ा कर दिया है। हालांकि, अभी और भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आपदा जोखिम प्रबंधन एक गतिशील प्रक्रिया है, जिसके लिए हमें नई जरूरतों और चुनौतियों के प्रति हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। चूंकि हर आपदा अलग होती है, इसलिए कोई पुस्तकीय समाधान नहीं होता। तब भी, एक तटीय राज्य के रूप में, हम जानते हैं कि आने वाले वर्षों में, ओडिशा को बार-बार और तीव्र चक्रवातों, ग्रीष्म लहरों, सूखे, अत्यधिक वर्षा की घटनाओं, बादल फटने, बाढ़ प्रकोप, बिजली तूफान, सुनामी, और समुद्र-स्तर में वृद्धि के लिए तैयार रहना होगा। ओडिशा के तट को समुद्री कटाव से बचाने की भी तत्काल आवश्यकता है।
ओडिशा ने अपने खुद के अनुभवों से सीखा है और पुरानी त्रुटियों को त्यागा है। जैसे-जैसे जलवायु जोखिम बढ़ रहे हैं, ओडिशा चक्रवात जोखिम को कम करने के लिए अपना स्तर बढ़ा रहा है और अधिक परिष्कृत तकनीकों की खोज कर रहा है। साथ ही यह सुनिश्चित कर रहा है कि वे जहां तक संभव हो, स्थानीय समुदायों के लिए सुलभ और उनके स्वामित्व में हों। जैसा कि ओडिशा के अनुभव से पता चलता है, हर राज्य के लिए यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि आपदा तैयारी और प्रबंधन एक विकासात्मक प्राथमिकता है जिसे हर राज्य को अपने सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ के अनुसार और सभी मामलों में तात्कालिकता की भावना के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए। यह अब चुनाव का मामला नहीं है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन एक स्पष्ट और वर्तमान खतरा है, और लाखों जीवन और आजीविका दांव पर हैं।
प्रदीप जेना ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव हैं और ऑगस्टे तानो कॉउमे भारत के लिए विश्व बैंक के देश निदेशक हैं।
यह अभिमत आलेख पहली बार 3 नवंबर, 2023 को बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित हुआ।