जब से 25 वर्षीया नित्या माँ बनी थी तब से वो परिवार की आय में योगदान देना चाहती थी ताकि उसके दो बच्चों को बेहतर ज़िंदगी मिले । लेकिन उसके गांव में महिलाओं के लिए अवसर कम ही थे । ये गांव त्रिचणापल्ली ज़िले के सदियों पुराने देखने योग्य मंदिर के पास स्थित है । उसने बताया, “मैं काम करना चाहती थी लेकिन अपने बच्चों को पीछे छोड़कर शहर जाकर नहीं रह सकती थी |”
आज नित्या अपने ही गांव के बीचोंबीच, बढ़िया चलते राज मिस्त्री उद्योग की अध्यक्षा है । उसकी ज़िदगी में नया मोड़ तब आया जब नित्या के स्वयंसेवी ग्रुप ने उसे पास ही बनाए गए सामुदायिक कौशल स्कूल द्वारा चलाए जाने वाले राज मिस्त्री प्रशिक्षण प्रोग्राम के बारे में बताया । उसने 20 दिन के प्रशिक्षण कोर्स के लिए नाम लिखा दिया । वहाँ उसकी मुलाकात तीन अन्य महिलाओं से हुई, जो उसी की तरह अपने लिए एक बेहतर भविष्य बनाने की उत्सुक थीं । मिलकर उन्होंने साझेदारी शुरू की और जल्द ही उन्हें एक बड़ा काम भी मिल गया । ये था स्थानीय पंचायत के लिए 600 साईन बोर्ड बनाने का 15 लाख रुपए का काम ।
आज नित्या और उसकी बिज़नेस पार्टनर्स निर्माण कार्यों के लिए एक पूरा उद्योग चलाती हैं और प्रत्येक पार्टनर लगभग एक हज़ार रुपए प्रतिदिन कमाती है। उन्होंने अपने गांव की तीन अन्य औरतों को भी काम पर रखा है।
तमिलनाडु में राज्य सरकार के वाड़्यन्दू कट्टुवोम कार्यक्रम की कोशिशों के ज़रिए चारों ओर हो रहे परिवर्तन में नित्या की कहानी केवल एक उदाहरण है । वाड़्यन्दू कट्टुवोम कार्यक्रम यानी वीकेपी कार्यक्रम का मतलब है – ‘जीते हैं और दिखाते हैं’ । ये प्रोग्राम विश्व बैंक की तमिलनाडु ग्रामीण परिवर्तन परियोजना के समर्थन से चलता है। इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के कौशल और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और छोटे व्यवसायों को आसानी से कर्ज़ देना है।