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मुख्य कहानी13 नवंबर, 2024

नागालैंड में सामुदायिक मिलकियत से बेहतर होती स्वास्थ्य सेवाएँ

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मुख्य बातें

  • नागालैंड की 22 लाख जनसंख्या में से लगभग दो-तिहाई ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। वहाँ सड़क संपर्क अच्छा नहीं है, बिजली कभी मिलती है और कभी नहीं, पानी की आपूर्ति और सफ़ाई व्यवस्था अपर्याप्त हैं।
  • बहुत समय से, समुदायों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाना एक चुनौती रहा है। विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण बहुत कम महिलाएँ ही स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में बच्चे को जन्म देना पसंद करती हैं। नागालैंड में ये दर पूरे भारत में सबसे कम है। प्रतिरक्षण के लिए टीकाकरण की दर भी कम है और बाल कुपोषण व मृत्यु दर के मुद्दों का सामना करने में कठिनाइयाँ आती रही हैं।
  • लेकिन, अब यह स्थिति बदलने लगी है। विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) समर्थित नागालैंड स्वास्थ्य परियोजना (नागालैंड हेल्थ प्रॉजेक्ट) के 2018 में शुरु होने के बाद से राज्य के 188 स्वास्थ्य केंद्रों का प्रदर्शन काफ़ी बेहतर हुआ है। इसके कारण 8,36,000 लोग अब अति आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।

कुछ साल पहले, भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में स्थित पेरेन ज़िला अस्पताल बुरी हालत में था।  अस्पताल का फ़र्श टूटा हुआ था, जगह जगह मिट्टी जमी हुई थी और मरीज़ों के लिए हाथ धोने और शौच की भी सुविधा नहीं थी। वहाँ कोई ऑपरेशन थिएटर न होने के कारण आपातकालीन सेवाएँ बरामदे में प्रदान करने की मजबूरी थी। डॉक्टर डायथो कोज़ा याद करते हैं कि लेबर रूम में जगह इतनी कम थी कि टॉर्च की रोशनी में सिज़ेरियन ऑपरेशन किए जाते थे।

आज वो अस्पताल, विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) की मदद के साथ, बहुत बदल गया है। अब वहाँ यंत्रों से लैस लेबर रूम है और नवजात शिशुओं का ध्यान रखने के लिए अलग स्थान है। पानी के निकास के लिए  बेहतर व्यवस्था के कारण पानी कम रुकता है और जैव-चिकित्सकीय (बायोमेडिकल) कचरे का ठीक से निपटारा किया जाता है। इससे अस्पताल कर्मचारियों और मरीज़ों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित जगह बन गया है। नतीजा ये हुआ है कि चार-पाँच महीने में ही अस्पताल में लगभग 56 शिशुओं का जन्म हुआ है जबकि पिछले पूरे साल में यह आँकड़ा केवल 50 ही था।

सौर्य ऊर्जा (सोलर) प्लांट के कारण बिजली 24 घंटे उपलब्ध होती है, जिससे इलैक्ट्रॉनिक मशीने चलती हैं और टीके (वैक्सीन) रेफरीजिरेटर में रखे जाते हैं। अब मरीज़ों को लगातार 24 घंटे बिना रुकावट सेवाएँ मिलती हैं। इससे डेलिवरी के दौरान बहुत राहत मिली है।
विज़ोनुयो थापरी
पेरेन ज़िला अस्पताल के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी
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दूरदराज़ के क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएँ हुईं बेहतर

नागालैंड के लोगों, विशेष तौर पर, दूरदराज़ क्षेत्रों में बसे लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाना बहुत समय से चुनौतीपूर्ण रहा है। नागालैंड की 22 लाख जनसंख्या में से लगभग दो-तिहाई ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। वहाँ सड़क संपर्क अच्छा नहीं है, बिजली कभी मिलती है और कभी नहीं, पानी की आपूर्ति और सफ़ाई व्यवस्था अपर्याप्त हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण बहुत कम महिलाएँ ही स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में बच्चे को जन्म देना पसंद करती हैं। नागालैंड में ये दर पूरे भारत में सबसे कम है। प्रतिरक्षण के लिए टीकाकरण की दर भी कम है और  बाल कुपोषण व मृत्यु के मुद्दों का सामना करने में कठिनाइयाँ आती रही हैं।

लेकिन, अब यह स्थिति बदलने लगी है। विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) समर्थित नागालैंड स्वास्थ्य परियोजना (नागालैंड हेल्थ प्रॉजेक्ट) के 2018 में शुरु होने के बाद से राज्य के 188 स्वास्थ्य केंद्रों का प्रदर्शन काफ़ी बेहतर हुआ है। इसके कारण 8,36,000 लोग अब अति आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।

राज्य की राजधानी कोहिमा से 260 किलोमीटर दूर स्थित थोनोकन्यु के प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र का उदाहरण लिजिए जो राज्य के सबसे दूरदराज़ स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में से एक है। वहाँ कभी-कभार ही कोई मरीज़ आता था।  पूरानी टूटी-फूटी इमारत को दुरुस्त किया गया है और नई जल व सफ़ाई सुविधाओं के लगाए जाने के कारण केंद्र में आने वाले मरीज़ों की संख्या बढ़ी है।

प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र में फ़ारमेसिस्ट पीहाई ने विस्तार से बताया, “कई बदलाव आए हैं, जैसे लेबर रूम, बारिश के पानी को एकत्र करने के लिए टैंक, पानी के निकास और जैव-चिकित्सकीय (बायोमेडिकल) कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था। अब हमारे पास इलाज के लिए पहले के मुकाबले में बहुत ज़्यादा लोग आते हैं। “

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सामुदायिक मिलकियत को बढ़ावा

नागालैंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम था स्थानीय समुदायों को सशक्त करना कि वे अपनी सेहत सुविधाओं की मिलकियत ले और स्टेट 2002 कम्युनिटाइज़ेशन एक्ट को पुनर्जीव करें। इस परियोजना  के तहत ग्राम सेहत समितियां दोबारा बनाई गईं और ये अनिवार्य बनाया गया कि एक महिला इसकी सह-अध्यक्षा होगी। इससे जच्चा और बच्चा की सेहत पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली। आज पूरे राज्य में लगभघ 500 ग्राम सेहत समितियां बनाई गई हैं जिनकी एक महिला सह-अध्यक्षा है।  

मेहुली गांव की समिति की सह-अध्यक्षा श्रीमति ज़हीटो ने कहा, ‘’इस प्रॉजेक्ट ने हमें सिखाया कि स्वास्थ्य सेवाएँ केवल सरकार की ही ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि गांव वासियों का भी कर्तव्य है।”

उस गांव में महिलाओं की संख्या 2500 के कुछ ज़्यादा है। वहाँ गर्भवति औरतों को टीकाकरण और जाँच के लिए स्वास्थ्य केंद्र आने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उन्हें थर्मस, अंडे और बच्चों के लिए चादरें तोहफ़े के तौर पर दी गईं ताकि उन्हें समुदायिक मदद का आश्वासन दिया जा सके।

 दूसरी ओर, याओंग्यिमसेन गांव ने एक और नवीन तरीका अपनाया और ग़रीबों व बुज़ुर्गों के लिए घर घर खाने के पैकेट पहुचाना शुरु किया। श्रीमति तातोंगकाला ने समिति की सह-अध्यक्षा चुने जाने के बाद इस नवीन तरीके को अपनाया। उन्होंने कहा, “सह-अध्यक्षा की भूमिका से मैं सशक्त और जागरूक हुई हूँ और इससे महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में मेरी जानकारी बढ़ी है।”

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स्वास्थ्य शिक्षा हुई बेहतर

स्वास्थ्य  विशेषज्ञों की कमी पूरी करने के लिए पाँच शहरों में नर्सिंग और दाई के विद्यालयों के कामकाज-प्रबंधन को बेहतर बनाया गया। शिक्षकों को आधुनिक प्रबंधन के तौर-तरीकों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इससे शिक्षकों को अपने शैक्षिक तरीकों को बेहतर बनाने और नर्सिंग की पढ़ाई में नवीन तरीकों को अपनाने में मदद मिली। पूर्व में, राज्य के चार नर्सिंग विद्यालयों में निर्धारित संख्या के मुकाबले में केवल आधी संख्या दाखिला लेती थी। इस पहल के  कारण पाँच नर्सिंग विद्यालयों में सीटें बढ़ाई गई हैं ताकि दाख़िले लेने के इच्छुक छात्रों को जगह मिल सके। इसके अतिरिक्त, नागालैंड के कुछ चुने हुए नर्सिंग विद्यालयों और पैरामेडिकल संस्थानों में  मूलभूत सुविधाएँ, फर्नीचर, उपकरण, शैक्षिक मदद वाली लर्निंग एड्स जैसी सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर बनाई गई है।

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भरोसेमंद बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करना

बिजली के कभी होने और कभी न होने की चुनौती का समाधान करने के लिए, प्रॉजेक्ट ने सौर्य ऊर्जा का इस्तेमाल कर किफ़ायती और भरोसेमंद  विकल्प चुना जो ख़ास तौर पर दूरदराज़ के क्षेत्रों में कारगर साबित हुआ।

अब 175 स्वास्थ्य केंद्रों में सौर्य ऊर्जा उपलब्ध है जिनसे ऑपरेशन और अन्य चिकित्सकीय कार्यों के लिए लगातार बिजली मिलती है।

पेरेन ज़िला अस्पताल के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी विज़ोनुयो थापरी के अनुसार – “सौर्य ऊर्जा (सोलर) प्लांट के कारण बिजली 24 घंटे उपलब्ध होती है, जिससे इलैक्ट्रॉनिक मशीने चलती हैं और टीके (वैक्सीन) रेफरीजिरेटर में रखे जाते हैं। अब मरीज़ों को लगातार 24 घंटे बिना रुकावट सेवाएँ मिलती हैं। इससे डेलिवरी के दौरान बहुत राहत मिली है।“

 वोखा के ज़िला अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर तुम्चोबेनी कहते हैं, “बिजली की आपूर्ति 24 घंटे होने के कारण, ग्रिड की सप्लाई न होने पर भी,  स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू  ढ़ंग से चलाया जा सका है।” इस बदलाव से केवल लागत ही नहीं घटी बल्कि इससे कार्बन डायॉक्साईड गैस के उत्सर्जन में भी 1240 टन की कमी आई है।

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डायगनौस्टिक सेवाएँ

इसके अलावा, आम मेडिकल टेस्ट के लिए मरीज़ों को लंबा सफ़र करने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती। उदाहरण के तौर पर, चुनीलिखा प्राईमरी स्वास्थ्य सेवा केंद्र में बनी प्रयोगशाला को वो उपकरण मिल गए हैं जिनसे वहीं मेडिकल टेस्ट किए जा सकते हैं। ये प्रयोगशाला 10 गावों के 15 हज़ार से ज़्यादा लोगों के काम आती है और टेस्ट वाले दिन ही उनके नतीज भी दे देती है। इससे मरीज़ों को 58 किलोमीटर दूर कोहिमा नहीं जाना पड़ता जिससे उनका समय, मेहनत और ख़र्चा बच जाता है।

उच्चरक्तचाप और मधुमेह के 80 वर्षीय मरीज़ सेनलो काथ कहते हैं, “मैं हर छह महीने बाद गुर्दे और कलेजे के टेस्ट के लिए स्वास्थ्य केंद्र जाता हूँ जहाँ ये टेस्ट मुफ़्त हो जाते हैं।”

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सफ़ाई और कचरे का प्रबंधन      

पानी न होने की समस्या का समाधान करने के लिए प्रॉजेक्ट ने बारिश के पानी को बचाना शुरु किया। अब हर साल 70-80 लाख लिटर पानी एकत्र किया जाता है और अन्य तरीकों से पानी जमा कर, राज्य में 176 स्वास्थ्य केंद्रों की ज़रूरत पूरी की जा रही है जिससे हाथ धोने और साफ़ सफ़ाई में सुधार आया है।

ज़िला अस्पतालों में वैज्ञानिक तरीके से जैव-चिकित्सकीय (बायोमेडिकल) कचरे के प्रबंधन की शुरुआत से भी फ़र्क पड़ा है।

तुयेनसांग ज़िला अस्पताल के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सेनिलो का कहना है, “इन सुविधाओं ने हमारे मेडिकल कचरे के प्रबंधन के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है और लोगों व कर्मचारियों में संक्रमण घटाने में बड़ी भूमिका निभाई है।” दरअसल  तुयेनसांग के अस्पताल को राज्य में सबसे साफ़-सुथरा और पर्यावरण के अनुकूल होने के लिए पुरस्कृत किया गया है।

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डिजिटल हस्तक्षेप

प्रॉजेक्ट के ज़रिए  प्राईमरी स्वास्थ्य केंद्रों और सभी माल-गौदामों (वेयरहाऊस) में ड्रग्स और दवाओं की स्टॉक सूची (इनवेंटरी) बनाने में मदद मिली है। ये सूची राज्य स्तर पर और जनता द्वारा भी देखी जा सकती है जिससे ड्रग सप्लाई योजना के तहत हो सकती है और स्टॉक ख़त्म होने से बचा जा सकता है।

मेडिकल उपकरणों के लिए भी प्राईमरी स्वास्थ्य केंद्र के स्तर तक ऐसी ही एक प्रबंधन व्यवस्था तैयार की गई है जिसमें वास्तविक जाँच, निरीक्षण और रख-रखाव शामिल हैं।

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विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) के समर्थन से चलाई गई नागालैंड स्वास्थ्य परियोजना (नागालैंड हेल्थ प्रॉजेक्ट) ने इन व्यापक कोशिशों से नागालैंड की स्वास्थ्य प्रणाली (हेल्थकेयर) को महत्वपूर्ण तरीके से परिवर्तित कर दिया है। इससे लोगों के लिए बेहतर सेहत और जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित की गई है।

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