महिलाएं की एक नई ज़िंदगी की शुरुआत
हॉस्टल वासी दिलक्षणा जो श्रीलंका से चेन्नई आई है को खुशी है कि उसे रहने के लिए ये जगह मिल गई। दिलक्षणा संगीत में अपना कैरियर बनाना चाहती हैं। वह इस बात पर ज़ोर देकर कहती हैं, “मैं सिर्फ़ किसी की पत्नी या मां नहीं बनना चाहती थी। मैं उम्मीद करती हूं कि एक दिन मेरा अपना म्यूजिक स्टूडियो और अपार्टमेंट होगा। तब तक के लिए ये हॉस्टल मेरी सुरक्षित जगह है जिसका मैं अपने सीमित बजट में खर्च उठा सकती हूं।”
लंबे समय से हॉस्टल में रह रही महिलाएं भी सुखद बदलाव की बात करती हैं। एक महिला ने बताया, “मेरा इससे पहले हॉस्टल में रहने का अनुभव काफ़ी बुरा था। शाम का खाना अक्सर सड़ा हुआ होता था। लेकिन यहां हमें ताजा पका हुआ खाना दिया जाता है और हम सब एक साथ बड़े से डाइनिंग हॉल में बैठकर खाना खाते हैं।”
इन हॉस्टलों का प्रबंधन संभालने वाली महिलाओं की टीम को इस बात का गर्व है कि उन्होंने यहां समुदाय की भावना पनपने में सहयोग किया है। टीम की एक प्रबंधक का कहना है, “मैं खुद कामकाजी महिलाओं के हॉस्टल में रही हूं, और मैं एक सहयोगी वातावरण की अहमियत समझती हूं।”
“इतना ही नहीं, मेरे अनुभवों के बारे में सुनकर यहां की लड़कियां स्वयं प्रेरित होती हैं जो मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है। जब मैं इस बड़े शहर में अपनी जगह बना सकती हूं, तो उनके लिए भी यह संभव है।”
इन हॉस्टलों के बारे में अब लोग जानने लगे हैं। इनमें से एक हॉस्टल में नई-नई रहने आई एक महिला ने बताया, “मुझे नहीं पता कि मेरी अगली नौकरी मुझे कहां ले जाएगी। लेकिन मैं सबसे पहले तोज़ही हॉस्टल ढूंढ़गी।”
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर आगस्त तानो कुआमे कहते हैं, “भारत के आर्थिक विकास के लिए ये ज़रूरी है कि महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए। भारत अगर महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी को वर्तमान 33 प्रतिशत से बढ़ाकर लगभग 50 प्रतिशत करने में कामयाब हो जाता है तो वह अपने सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर को 1 से 2 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।”
विश्व बैंक की इस परियोजना का प्रबंधन कर रहे अभिजीत संकर रे और यान झांग ने कहा, “इस पहल ने दिखाया है कि किस तरह से भारत में सस्ते आवास की समस्या को दूर करने में निजी क्षेत्र की मदद ली जा सकती है और इसके साथ ही श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ाई जा सकती है।”
इस बीच, रागवर्षिनी को न सिर्फ़ सुरक्षित आवास बल्कि उसे एक सहयोगी समुदाय भी मिला है। “अब, मैं अपनी संभावनाएं तलाशना चाहती हूं।” यह कहते हुए उसकी आंखें उत्सुकता से चमक रही थीं।
साभार: यान झांग, अभिनीत रे, सीता रघुपति और किंग्यून शेन