Skip to Main Navigation
मुख्य कहानी11 जुलाई, 2024

मध्य प्रदेश में सड़क यातायात को सुरक्षित बनाने का सफ़र

The World Bank

मनावर से तवलाई बुज़ुर्ग (एसएच - 38)

विश्व बैंक

मुख्य बातें

  • मध्य प्रदेश के धार, इंदौर और दातिया ज़िलों में विश्व बैंक समर्थित सामुदायिक भागीदारी वाले सड़क सुरक्षा कार्यक्रम ने एक पायलट प्रयोग के तहत एक पहल की है। स्थानीय समुदायों को सड़क सुरक्षा कदमों को लागू करने के लिए इस पहल में बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी दी गई । इन कदमों में मूलभूत ढ़ांचे में सुधार और जागरूकता अभियान शामिल थे।
  • पायलट ज़िलों में 65 लाख से ज़्यादा लोग अब सुरक्षित सड़क व्यवस्था का लाभ उठा रहे हैं। महत्वपूर्ण सुधारों के कारण कुल दुर्घटनाओं की संख्या में लगभग 70 फ़ीसदी की कमी आई है और टेस्ट क्षेत्रों में पैदल चलने वालों से जुड़ी दुर्घटनाएँ लगभग 80 फ़ीसदी घटी हैं ।
  • पूरे मध्य प्रदेश में एक व्यापक सड़क सुरक्षा अभियान का नेतृत्व ग़ैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के अभियान प्रतिनिधियों और समुदाय आधारित संगठनों ने किया । उन्होंने लगभग 100 सड़क सुरक्षा कार्यकारी ग्रुप स्थापित किए हैं जिनके 600 सदस्य सड़क सुरक्षा मद्दों का व्यापक तौर पर समाधान करते हैं।

मध्य प्रदेश के धार ज़िले के रारूआराई गांव में माध्यमिक विद्यालय यानी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की कम उम्र की लड़कियां स्कूल जाने से कतराती थीं । स्कूल के बाहर तमाशाई बने खड़े लोग रोज़ाना उन्हें परेशान करते थे जिसके कारण उन्हें स्कूल जाने का सफ़र भयभीत करने वाला अनुभव लगता था और इससे उनकी शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ता था। सोलह वर्षीया छात्रा मनीषा चौहान याद करती हैं, “मैं स्कूत के करीब लड़कियां के छात्रावास (गर्ल्स हॉस्टल) में रहती हूँ,  लेकिन मैं हॉस्टल से स्कूल जाने के मात्र 50 मीटर के सफ़र के दौरान पैदल चलते हुए सुरक्षित महसूस नहीं करती थी । हर जगह रेढ़ी-फड़ी वाले नज़र आते थे, बसें इधर-उधर बेतरतीब रुकती थीं और हमेशा वहां परुषों की भीड़ रहती थी जिससे एक साथ चलती हुई हम सभी असहज हो जाती थीं ।"

 फिर, पिछले छह महीने के दौरान इस स्कूल के बाहर दिखने वाली तस्वीर पूरी तरह से बदल गई । स्कूल के बाहर की सड़क को चौड़ा किया गया, पैदल चलने वालों के लिए रास्ता बनाया गया, ज़ीब्रा क्रॉसिंग और स्पीड कंट्रोल करने की पट्टियां बनाई गईं और सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण एक सीसीटीवी कैमरा लगाया गया । स्कूल के गेट के बाहर एक बस स्टैंड के कारण ट्रैफ़िक को बैहतर तरीके से व्यवस्थित करने में मदद मिली, तमाशाई लोगों की भीड़ बिखर गई और छात्राओं को ख़राब मौसम से राहत मिली ।

मैं अब स्कूल आने के दौरान सुरक्षित महसूस करती हूँ. ट्रैफ़िक धीमा हो गया है और यदि कोई शरारत करना भी चाहे तो सीसीटीवी कैमरा उसे सावधान कर देता है ।
मनीषा चौहान
सोलह वर्षीया छात्रा

जगह पाने के लिए संघर्ष   

भारत के केंद्र में स्थित मध्य प्रदेश दुर्घटनाएँ होने की संभावनाओं के आधार पर देश में तीसरे नंबर पर है । वर्ष 2019 में लगभग 12 हज़ार लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गवाँ दी । ट्रैफ़िक की अत्यधिक आवाजाही के समय, यानी पीक आवर के समय संकरी सड़कों में औद्योगिक, व्यावसायिक और रिहायशी इलाकों के ट्रैफ़िक को जगह पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इससे दो-पहिया वाहनों के चालकों और पैदल चलने वालों के लिए ख़तरा ख़ास तौर पर बढ़ जाता है।

The World Bank

विश्व बैंक

विश्व बैंक की सड़क सुरक्षा के लिए मदद

इन महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए मध्य प्रदेश के धार, इंदौर और दातिया ज़िलों में विश्व बैंक समर्थित सामुदायिक भागीदारी वाले सड़क सुरक्षा कार्यक्रम  ने एक पायलट प्रॉजेक्ट यानी प्रयोग के तहत एक पहल की है। वहाँ सड़क सुरक्षा के कदम स्थानीय समुदायों के सहयोग से लागू किए जाते हैं । इसके फलस्वरूप इन ज़िलों में रहने वाले 65 लाख के अधिक लोग अब सुरक्षित सड़कों से बेहतर हुए हालात का लाभ उठाते हैं ।

The World Bank

दातिया ज़िले के पिपारुआ गांव की राजेश्वरी कहती हैं कि अब वो अपने चार महीने के बच्चे के साथ मुख्य सड़क के पास स्थित अपनी आंटी के घर तक पैदल जाने में सुरक्षित महसूस करती हैं । वो कहती हैं, “इससे पहले इस सड़क पर चलने वाले वाहन बहुत तेज़ गति से जाते थे । हम पैदल चलने वाले लोगों के लिए यह बहुत ख़तरनाक था । अब अत्यधिक स्पीड बताने वाले साइन के कारण बसें और मोटर साइकिल इस बात पर ध्यान देने के लिए मजबूर हैं कि वे वाहन कैसे चला रहे हैं ।

पायलट ज़िलों में 16 ख़तरनाक जगहों पर ट्रैफ़िक व्यवस्था बेहतर हुई है और 20 किलोमीटर के सुरक्षित कोरीडोर (विशेष रास्ते) बनाए गए हैं । अक्तूबर 2023 और मार्च 2024 के बीच टेस्ट क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाएँ लगभग 70 फीसदी कम हुईं और पैदल चलने वालों से संबंधित दुर्घटनाओं में लगभग 80 फीसद की कमी आई ।

इसका असर आंकड़ों से कहीं बढ़कर है । आज मनीषा जैसी बच्चियों और राजेश्वरी जैसी औरतों से मिलकर हैरानी नहीं होती, जो जानती हैं कि वाहनों को गति घटाने पर मजबूर करने के लिए पट्टियाँ (रम्बल स्ट्रिप्स) लगाई जाती हैं और मोटर साइकिल चालकों को अपने बचाव के लिए हेलमेट ज़रूर पहननी चाहिए ।

ये प्रोग्राम सामुदायिक  सहभागिता, लक्ष्य तय करके चलाए अभियान और रणनीतिक दख़ल के द्वारा मध्य प्रदेश की सड़कों को सुरक्षित बना रहा है ।

The World Bank

विश्व बैंक

यह परिवर्तन कैसे हुआ ?

इंजिनियरिंग

सड़कों के निर्माण में सड़क सुरक्षा से जुड़े विशेष पहलुओं को शामिल किया गया है । इनमें सड़को को चौड़ा करना, पैदल चलने वालों के लिए ख़ास रास्ते बनाना, गति को नियंत्रित करने के कदम उठाना, सड़क चिन्ह और ट्रैफ़िक सिग्नल शामिल हैं । ऐसी जगहों की पहचान की गई जहाँ ट्रैफ़िक की आवाजाही ज़्यादा है और ऐसी ख़तरनाक जगहों की भी पहचान की गई जहाँ दुर्घटनाएँ होने की आशंका है और फिर इनका समाधान किया गया । इस प्रोग्राम के तहत तीन पायलट ज़िलों में विशेष सुरक्षित रास्ते बनाए गए और आदर्श शहरी सड़कों के नमूने पेश किए गए ।

इन क्षेत्रों में सिविल कार्यों में ऐसी इमारतें बनाना जिन तक पैदल चलने वालों की बिना रुकावट पहुँच हो, एक जगह से दूसरी जगह पहुँचने के सुरक्षित रास्ते (क्रॉसिंग), निशानों और चिन्हों की संख्या बढ़ाना, चौराहों में सुधार लाकर ट्रैफ़िक आवाजाही को बेहतर बनाना और वृक्षारोपण शामिल थे। नवीन कदम लागू किए गए, जैसे टक्कर से बचाने के लिए रोलर अवरोध और गति यानी स्पीड दिखाने के लिए सौर्य ऊर्जा से चलने वाले बोर्ड ।

ये प्रोग्राम इन प्रयासों को बनाए रखने में राज्य के सामर्थ्य को मज़बूत करता है । मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के 300 कर्मचारियों  को सड़क सुरक्षा और डिज़ाइन में प्रशिक्षित किया गया ताकि ऐसे पहल की निरंतरता को सुनिश्चित किया जा सके ।

The World Bank

विश्व बैंक

प्रवर्तन

प्रशिक्षण और सड़क सुरक्षा नियमों को लागू करना इस प्रोग्राम की सफलता की कुंजी था । ट्रैफ़िक के नियमों की पालना को बढ़ाने के लिए प्रोग्राम के तहत इन्हें लागू करने के कई तरीकों को शुरु किया गया । इन तरीकों में इल्कट्रॉनिक चालान, सीसीटीवी कैमरे, विशेष उपकरण जैसे सांस की जांच करने की मशीन यानी ब्रेथ एनेलाईज़र और गतिशील लेज़र गन की उपलब्धता  शामिल थे ।

इससे आगे बढ़कर,  प्रोग्राम का ध्यान पुलिस और यातायात अधिकारियों को व्यापक प्रशिक्षण के ज़रिए ज़रूरी सड़क सुरक्षा कौशल प्रदान करने पर केंद्रित किया गया । अब तक,  25 मास्टर प्रशिक्षकों समेत 175 प्रवर्तन अधिकारियों को इस प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षित किया गया है ।

भोपाल के सहायक पुलिस कमिश्नर मनोज खत्री, ने प्रवर्तन अधिकारियों के ‘प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण’  कार्यक्रम में हिस्सा लिया । वो कहते हैं, “पहली बार, सड़क सुरक्षा के प्रति व्यापक रवैया अपनाया गया । इसमें टक्कर की जांच, ट्रैफ़िक प्रबंधन, सड़कों पर निशान और ट्रैफ़िक चिन्ह शामिल थे ।

The World Bank

विश्व बैंक

आपातकालीन प्रतिक्रिया और टक्कर पश्चात  देख-रेख

प्रोग्राम की आपातकालीन प्रतिक्रिया का पहलु टक्कर पश्चात देखभाल में नज़र आती कमियों का समाधान करता है । मिसाल के तौर पर, इससे पूर्व, धार के शहरों में टक्कर के पीड़ित लोगों तक बड़े भूगौलिक क्षेत्र के कारण पहुँचा नहीं जा सकता था । प्रोग्राम के तहत धार में सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पांच अति आधुनिक आपातकालीन विभागों के लिए पैसा दिया गया है जो ख़ास तौर पर टक्कर के पीड़ितों के लिए हैं । दातिया और इंदौर ज़िलों में भी इसी तरह के सुधार लागू किए गए । इनके तहत दुर्घटना के पीड़ितों के लिए समय रहते, असरदार आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा को सुनिश्चित किया गया ।

प्रोग्राम के तहत लगभग 200 सामुदायिक सड़क सुरक्षा स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया गया। इन्हें मूलभूत लाईफ़ स्पोर्ट यानी प्राथमिक मदद और सीपीआर के साथ ट्रामा में देखभाल में प्रशिक्षण दिया गया । अस्पतालों में विशिष्ट टक्कर के पश्चात साज़ोसामान उपलब्ध कराया गया है और लगभग 1000 कर्मचारियों को तैनात किया गया है । इनमें डॉक्टर, नर्सें, स्वास्थ्य कर्मी और ऐंबुलेंस ड्राइवर शामिल हैं और उन्हें आपातकालीन देखभाल में प्रशिक्षण दिया गया है ।

टोंकीफत जंक्शन में 25 वर्षी प्रकाश विश्वकर्मा  एक आम वस्तुओं के स्टोर के मालिक हैं। उन्हें सुरक्षा स्वयंसेवक होने के कारण प्राथमिक चिकित्सा और सीपीआर में प्रशिक्षण दिया गया है। प्रकाश अपनी दुकान के पास हुई कई दुर्घटनाओं को घटते देखते थे और घायलों की मदद करते थे ।  वो कहते हैं, “इस जंकशन के पास स्थित सीमेंट फ़ैक्टरी के कारण यहाँ से ज़्यादा भार ले जाने वाले बड़े-बड़े वाहन गुज़रते थे । पिछले केवल दो साल में इस प्रॉजेक्ट के अंतरगत बहुत सारी चीज़े बेहतर हुई हैं । लेकिन लोगों को और जागरूक करने की ज़रूरत है ताकि वो सड़कों का इस्तेमाल करते समय इन सुरक्षा सावधानियों को ध्यान में रखें ।

The World Bank

मध्य प्रदेश में सड़क सुरक्षा क्लब स्थापित करके और बच्चों को सड़क सुरक्षा नियमों और चिन्हों के बारे में परिचित कराने जैसे जागरूकता अभियानों के ज़रिए नौजवानों को सड़क सुरक्षा के बारे में सिखाया जा रहा है ।

विश्व बैंक

सामुदायिक नेतृत्व वाली सड़क सुरक्षा जागरूकता

ग़ैर सरकारी और समुदाय आधारित संगठनों से लिए गए अभियान के प्रतिनिधियों द्वारा एक व्यापक सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान का कार्यक्रम चलाया गया । पूरे मध्य प्रदेश में लगभग 100 सड़क सुरक्षा कार्यकारी ग्रुप बनाए गए हैं जिनके 600 सदस्य हैं जो व्यापक तौर पर सड़क सुरक्षा के मुद्दे का समाधान करने में जुटे हैं।

इस अभियान ने स्पीड लिमिट से अधिक गति से वाहन चलाने, हेलमेट के इस्तेमाल, ट्रैफ़िक नियमों के बारे में जागरूकता, सीट बेल्ट लगाने, वाहन चलाते समय मोबाइल फ़ोन का ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल, शराब पीकर गाड़ी चलाने से बचना और गुड सैमैरिटन क़ानून को समझना जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया । ग्रामीण समुदायों को नुक्कड़ नाटक और स्कूली बच्चों के लिए वर्कशॉप जैसे नवीन तरीकों के ज़रिए इससे जोड़ा गया.

राहुल ऐसे अभियान-प्रतिनिधि हैं जो समुदाय के भीतरी परिवर्तन को प्रतिबिंबित करते हैं । वो बताते हैं,  “मेरी सुरक्षा मेरी ज़िम्मेदारी जैसा अभियान सही सड़क सुरक्षा तरीकों की लापरवाही और उनके बारे में अज्ञानता की स्थिति से लेकर लोगों की अपनी सुरक्षा के बारे में चेतना के उस सफ़र को दर्शाता है ।“

प्रेरणा अरोड़ा उस ग़ैर सरकारी संगठन की अध्यक्ष हैं जिसने इस जागरूकता अभियान की योजना बनाई । वो याद करती हैं कि पहले पहल गांव वासियों को सड़क सुरक्षा के बारे में बहुत कम समझ और जागरूकत थी । प्रशिक्षण और जागरूकता अभियानों के बाद की वो एक प्रेरणादायक घटना सुनाती हैं जब एक अभियान-प्रतिनिधि ने अपने दूधवाले के लिए हेलमेट ख़रीदा ताकि वो सुरक्षित तरीके से अपने मोटर साइकिल के ज़रिए घर-घर तक दूध पहुँचा सकें । प्रेरणा के अनुसार, “सुरक्षा का प्रयास उसके अपने घर से शुरू हुआ जिसे देख कर दिल ख़ुश हो गया ।“

ब्लॉग

    loader image

नई खबरें

    loader image