दिसंबर की खुशनुमा सुबह है। उत्तर-पूर्वी राज्य असम में सैंतीस वर्षीय किसान कमल कुमारी, अपने गांव की सीमा से लगे खेतों में काम करने के लिए घर से निकल पड़ती हैं। वह दूर तक फैले धान और सरसों के खेतों से होकर, दूर हिमालय की भव्य चोटियों की रूपरेखा को देखते हुए अन्य महिला किसानों के साथ एक बहुत बड़े खेत में पहुंच जाती हैं। वह एक चमकीले पीले रंग की सीडर मशीन के ड्राइविंग सीट पर बैठ जाती हैं, और उनकी अन्य साथी गाड़ी के पीछे में स्तिथ टिलर में आलू के बीज भरती हैं। दिन भर वे खेत जोतती हैं, और आलू की रोपाई करती हैं।
ये महिला किसान जॉयमोती फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की सदस्य हैं, जिसकी शेयरधारक महिलाएं ही हैं। यह कंपनी पूर्वोत्तर राज्य असम के तेजपुर में सोनितपुर जिले में स्थित है। जिले के 25 गांवों में से 435 महिलाएं इस कंपनी के शेयरहोल्डर हैं। वे ज़्यादातर खेती में लगी रहती हैं, और धान, कद्दू, सरसों और अन्य सब्जियों की फ़सल उगाती हैं।
महिला किसान बताती हैं, “पहले हम अपने अलग अलग खेतों में काम करते थे और अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद बची हुई उपज को बेचते थे। उससे होने वाली आय महज़ इतनी होती थी कि उससे घर का खर्च चल जाए। अब हम एक कंपनी के तौर पर साथ मिलकर काम रहे हैं, हम बाज़ार मांग के हिसाब से फसलें उगाते हैं, बढ़िया दामों पर अपनी फसलें बेचते हैं और उससे हुए लाभ को बाँट लेते हैं। हमारी आमदनी भी दो-तीन गुना बढ़ गई है।”
2022 में, उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने उन्हें आलू उगाने के लिए उनके सामने एक अनुबंध का प्रस्ताव दिया। आलू की फसल बेचने के बाद, फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (FPC) ने लगभग 20 लाख रुपए का मुनाफा कमाया, और इसे भागीदार किसानों में बांट दिया गया। एफपीसी की चेयरपर्सन कमल कुमारी गर्व से कहती हैं, “हम हमेशा से किसान रहे हैं। लेकिन अब अपनी कंपनी के साथ हम कृषि उद्यमी बन गए हैं। ”