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मुख्य कहानी27 फ़रवरी, 2024

कृषि उद्यमों में सफ़लता - असम राज्य की कहानी

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प्रमुख बिंदु

  • विश्व बैंक असम में पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से कृषि व्यवसाय क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। इसकी शुरुआत 1995 में 12.6 करोड़ डॉलर की असम ग्रामीण अवसंरचना और कृषि सेवा परियोजना (ARIASP) के साथ हुई थी। इस परियोजना ने राज्य में लगभग 2 लाख छोटे और सीमांत किसानों की कृषि उत्पादकता और आय बढ़ाने में काफ़ी सहायता की। यह परियोजना 2004 में बंद हुई ।
  • 2005 में, 15.4 करोड़ डॉलर की असम कृषि प्रतिस्पर्धात्मकता परियोजना (एएसीपी) को मंजूरी दी गई थी। परियोजना का लक्ष्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और बाजार पहुंच में सुधार लाना था। इससे सिंचाई और कृषि प्रौद्योगिकी के उपयोग में सुधार लाने में सहायता मिली, जिससे सब्जियों और तिलहन जैसे ऊंची क़ीमत वाली फसलों के उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे 5.5 लाख से अधिक किसानों को लाभ हुआ। यह परियोजना 2015 में बंद हो गई।
  • 20 करोड़ डॉलर की वर्तमान में चल रही असम कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन परियोजना (APART) को 2017 में मंजूरी दी गई थी। यह परियोजना प्राथमिक कृषि और उद्यम विकास दोनों पर केंद्रित है। प्राथमिक कृषि क्षेत्र में, APART ने चावल, डेयरी, मत्स्य पालन, पशुधन और रेशम जैसे क्षेत्रों में 5 लाख से अधिक किसानों को सहायता प्रदान की है। इसके अलावा इसकी और एक लाख किसानों तक पहुंचने की योजना है। उद्यम विकास क्षेत्र में इस परियोजना ने 2,000 से अधिक उद्यमों की कायापलट में योगदान दिया है और इसका लक्ष्य 50 बड़े कृषि व्यवसाय उद्यमों सहित 1,000 से अधिक उद्यमों की मदद करना है।

दिसंबर की खुशनुमा सुबह है। उत्तर-पूर्वी राज्य असम में सैंतीस वर्षीय किसान कमल कुमारी, अपने गांव की सीमा से लगे खेतों में काम करने के लिए घर से निकल पड़ती हैं। वह दूर तक फैले धान और सरसों के खेतों से होकर, दूर हिमालय की भव्य चोटियों की रूपरेखा को देखते हुए अन्य महिला किसानों के साथ एक बहुत बड़े खेत में पहुंच जाती हैं। वह एक चमकीले पीले रंग की सीडर मशीन के ड्राइविंग सीट पर बैठ जाती हैं, और उनकी अन्य साथी गाड़ी के पीछे में स्तिथ टिलर में आलू के बीज भरती हैं। दिन भर वे खेत जोतती हैं, और आलू की रोपाई करती हैं।

ये महिला किसान जॉयमोती फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की सदस्य हैं, जिसकी शेयरधारक महिलाएं ही हैं। यह कंपनी पूर्वोत्तर राज्य असम के तेजपुर में सोनितपुर जिले में स्थित है। जिले के 25 गांवों में से 435 महिलाएं इस कंपनी के शेयरहोल्डर हैं। वे ज़्यादातर खेती में लगी रहती हैं, और धान, कद्दू, सरसों और अन्य सब्जियों की फ़सल उगाती हैं।

महिला किसान बताती हैं, पहले हम अपने अलग अलग खेतों में काम करते थे और अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद बची हुई उपज को बेचते थे। उससे होने वाली आय महज़ इतनी होती थी कि उससे घर का खर्च चल जाए। अब हम एक कंपनी के तौर पर साथ मिलकर काम रहे हैं, हम बाज़ार मांग के हिसाब से फसलें उगाते हैं, बढ़िया दामों पर अपनी फसलें बेचते हैं और उससे हुए लाभ को बाँट लेते हैं। हमारी आमदनी भी दो-तीन गुना बढ़ गई है।

2022 में, उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने उन्हें आलू उगाने के लिए उनके सामने एक अनुबंध का प्रस्ताव दिया। आलू की फसल बेचने के बाद, फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (FPC) ने लगभग 20 लाख रुपए का मुनाफा कमाया, और इसे भागीदार किसानों में बांट दिया गया। एफपीसी की चेयरपर्सन कमल कुमारी गर्व से कहती हैं, हम हमेशा से किसान रहे हैं।   लेकिन अब अपनी कंपनी के साथ हम कृषि उद्यमी बन गए हैं।

मैं प्रशिक्षण के लिए शुक्रगुजार हूं। मैं समझ गई कि मैं मत्स्य बीज उत्पादन से अधिक पैसे कमा सकती हूं, जिनका उपयोग तालाबों और मछली फार्मों में अंडे के रूप में किया जाता है। इसकी साल भर मांग बनी रहती है। मेरी आय 50,000 रुपए से 6 गुना बढ़कर 3 लाख रुपए हो गई है।
प्रोनोती गोस्वामी लाभार्थी, चेंगनोई एफपीसी के शेयरधारक
नालबडी जिला, चेंगनोई गांव

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विश्व बैंक के APART प्रोजेक्ट की सफ़लता

विश्व बैंक की APART(असम एग्रीबिजनेस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट) परियोजना असम में ऐसी 125 फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों (FPCs) की मदद कर रही है, जिससे 60,000 से ज्यादा किसान भागीदार के तौर पर जुड़े हुए हैं, और इसमें 20,000 महिलाएं शामिल हैं। फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियां एक ख़ास भूगोल क्षेत्र के अनुरूप गठित की जाती हैं, जो एक तरह के खेतिहर कामों जैसे कृषि, बागवानी, सिल्क उत्पादन या मत्स्य पालन में लगे लोगों को एकजुट करती हैं। साझीदार बनने के लिए हर किसान 1000 रुपए का योगदान देता है।   एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के तौर पर पंजीकृत कंपनी को परियोजना से तकनीकी और वित्तीय सहायता दी जाती है, साथ ही बैंक और वित्तीय संस्थाओं से भी वित्तीय मदद मिलती है। 

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ज्ञान और संसाधन के जरिए किसानों के सशक्तिकरण

APART के तहत फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों को कॉमन सर्विस सेंटर्स और कस्टम हायरिंग सेंटर्स को स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है, जहां सदस्यों को मछली चारे, बीज, उर्वरक और कृषि उपकरण जैसे कृषि संसाधनों तक पहुंच उपलब्ध कराई जाती है। किसानों को बेहतर कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें फसल प्रबंधन और सब्जियों की खेती शामिल है। जो लोग मत्स्यपालन में लगे हुए हैं, उन्हें बेहतर और स्वच्छ मत्स्यपालन तकनीकों के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है और उन्हें मूल्य संवर्धित ऐसे उत्पादों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिनकी बाज़ार में मांग हो।

पचास वर्षीय प्रोनोती गोस्वामी, नालबडी जिले के चेंगनोई गांव में रहती है। वह पहले अपने छोटे से तालाब में मत्स्यपालन करती थीं और स्थानीय बाज़ार में मछलियां बेचकर घर का खर्च चलाती थीं।   अब, उन्होंने अपने मत्स्यपालन व्यवसाय का विस्तार किया है, उसे और विविध बनाया है। चेंगनोई फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के एक शेयरधारक के रूप में, उन्हें मत्स्य बीज उत्पादन शुरू करने के लिए प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराया गया।“मैं प्रशिक्षण के लिए शुक्रगुजार हूं। मैं समझ गई कि मैं मत्स्य बीज उत्पादन से अधिक पैसे कमा सकती हूं, जिनका उपयोग तालाबों और मछली फार्मों में अंडे के रूप में किया जाता है।   इसकी साल भर मांग बनी रहती है। मेरी आय 50,000 रुपए से 6 गुना बढ़कर 3 लाख रुपए हो गई है।”

इसी तरह, उसी गांव में, 30 वर्षीय लविता देक्का गोस्वामी (जिन्होंने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है) अपने मत्स्यपालन व्यवसाय का प्रसार करके सूखी मछलियां, मछलियों के अचार और सरसों का पेस्ट का उत्पादन शुरू किय। APART के तहत मिलने वाले प्रशिक्षण के बाद, लविता अब इन उत्पादों को स्थानीय बाजारों और सुपरमार्केट में बेचती हैं। “मुझे 30,000 रुपए के छोटे से निवेश से मुझे हर महीने 10,000 से 15000 रुपए मिल रहे हैं।” लविता अब अन्य महिला किसानों को प्रशिक्षित कर रही हैं और उन्हें जिले भर के बड़े बाजारों में अपने उत्पादों की बिक्री के बढ़ने की उम्मीद है। 

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महिला नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा देना

असम एग्रीबिजनेस ग्रोथ लैब APART परियोजना का एक अभिन्न हिस्सा है।   यह पहल कृषि एवं सहायक क्षेत्रों से जुड़े उद्यमों को सहायता प्रदान करती है, जिसके केंद्र में महिला उद्यमियों वाले व्यवसाय को बढ़ावा देना है।   सफलता की एक ऐसी कहानी 33 वर्षीय मायाश्री बरुआ की है, जिन्होंने ग्रेजुएशन तक शिक्षा हासिल की है और पहले एक शिक्षिका भी रह चुकी हैं। वह गुवाहाटी के बाहरी इलाके में तेजी से फल-फूल रहे एक सूक्ष्म उद्यम को चला रही है।

मायाश्री ने शादी के बाद उद्यमी होने की अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने बिना केमिकल और प्रिजर्वेटिव के मुरमुरे नमकीन का उत्पादन शुरू किया। 2020 से पहले, वह सालाना लगभग 5 लाख रुपए का लाभ कमा रही थीं।   उसके बाद उन्होंने अपने स्नैक्स में बाजरे को शामिल करने का फैसला किया जिसे वह किसानों से ख़रीद रही थीं।

मायाश्री बताती हैं, एग्रीबिजनेस ग्रोथ लैब के जरिए मुझे जो प्रशिक्षण और सहायता मिली, उससे मुझे बड़े पैमाने पर अपने सूक्ष्म-उद्योग के प्रसार की जानकारी और कौशल ज्ञान मिला। 2022- 23 में, मेरा टर्नओवर लगभग दोगुना होकर क़रीब 13 लाख हो गया। अब, मैंने अपने उत्पाद रेंज में कई उत्पाद जोड़े हैं और असम के बड़े हिस्से में अपनी बाज़ार पहुंच का विस्तार किया है।   और मुझे विश्वास है कि 2023-25 मेरा टर्नओवर बढ़कर 25 लाख हो जाएगा।”

 

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बैंकिंग और वित्तीय ज्ञान के जरिए किसानों का सशक्तिकरण

अपार्ट असम के किसानों और कृषि व्यवसाय से जुड़े सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को बढ़ाने और इन सेवाओं के प्रभावी उपयोग के लिए उनकी क्षमता निर्माण के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है। APART ने एक चैलेंज फंड, क्षामाहार (Xamahar), को शुरू किया है जो एक चुनौती कोष है, जो राज्य में किसानों और कृषि व्यवसाय उद्यमों के लाभ के लिए परीक्षणित वित्तीय नवाचारों को बढ़ाने के लिए वित्तीय सेवा प्रदाताओं को प्रतिस्पर्धी अनुदान प्रदान करता है।

किसानों के लिए एक फाइनेंशियल एजुकेशन एवं काउसलिंग प्लेटफॉर्म, कृसार्थक  को शुरू किया गया है, जो उनकी वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देगा।   इससे इन्हें सोच समझकर फैसला लेने और अपने वित्तीय संसाधनों के उचित प्रबंधन करने में सहायता मिलती है।

इसके अलावा, APART कृषि व्यवसाय और संबंधित क्षेत्रों में छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के विकास के लिए दीर्घकालिक पूंजी तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक असम एग्रीबिजनेस इन्वेस्टमेंट फंड लॉन्च कर रहा है।   यह फंड कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के विकास के लिए दीर्घकालिक ऋण और इक्विटी में निवेश की सुविधा प्रदान करेगा, जो कृषि व्यवसायों के विकास और विस्तार के लिए आवश्यक पूंजी प्रदान करेगा।

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उद्यमिता आधारित मानसिकता: पारंपरिक कृषि से परे सोच

APART के ज़रिए मिले प्रशिक्षण और संसाधनों की उपलब्धता के बाद किसान अब उद्यमियों की तरह सोचने लगे हैं।   वे अपने प्रोडक्ट रेंज में विस्तार करने, नए बाजारों में पहुंच बनाने और अपने उत्पादों का एक ब्रांड तैयार करने के प्रति उत्सुक हैं।

जोयोमोती फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की कमल कुमारी मुस्कुरा कर कहती हैं, “हमें विश्वास है कि 2023-24 में हमारा टर्नओवर 2 करोड़ से ज्यादा हो जाएगा।   अभी हमारी योजना एक तेल मिल खोलने की है ताकि हम अपनी सरसों की फसल से तेल तैयार कर सकें।   हम इसे अपने ब्रांड के नाम से राज्य के भीतर और बाहर बेचेंगे।

इस बीच, मायाश्री अपने स्वामित्व वाली फर्म को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदलने की योजना बना रही हैं। “एक बार मेरी कंपनी स्थापित हो जाए, तो मैं अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए ऋण और अनुदान हासिल करने की कोशिश कर सकती हूं।   मैं अपने वितरण के नेटवर्क का विस्तार करना चाहती हूं और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में अधिक से अधिक ग्राहकों तक अपने उत्पादों को पहुंचाना चाहती हूं।”

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जिंदगियों में आया बदलाव

न केवल किसानों को आर्थिक लाभ हुआ है, बल्कि अब उनमें एक व्यक्तिगट तौर पर भी काफ़ी बदलाव हुआ है, जहां वे समाज में अपनी स्थिति पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं।   रंजू गोआला, जिनकी उम्र 35 से 40 के बीच है, ने ज्यादातर ज़िंदगी अपने घर और परिवार का ख्याल रखने में बिताई है। वह इस बात को स्वीकार करती हैं कि जोयोमोती फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की सदस्य बनने के बाद उनकी ज़िंदगी ने खासा बदलाव आया है। रंजू कहती हैं, पहले, मैं लोगों के सामने आकर ऐसे बात नहीं करती थी। आज, मैं बाहरी लोगों से बात कर सकती हूं, व्यवसाय से जुड़ी बहसों में भाग ले सकती हूं और अपनी राय दे सकती हूं।  अब मेरी एक पहचान है और मैं खुद सशक्त महसूस करती हूं।”

सोनितपुर में सूरज की ढलती सुनहरी किरणें खेतों पर पड़ रही थी। जोयोमोती फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की महिला किसान आलू के खेतों में अपना काम ख़त्म करके वापिस अपने घर लौट रही हैं। थकान के बावजूद उनके चेहरों  पर खुशी लहलहारही है।  

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