सामान्य समय में, भारत की लाखों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की फौज कुपोषण के खिलाफ देश की लड़ाई का नेतृत्व करती है। आज, ये महिलाएं एक और लड़ाई - कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में शामिल हो गई हैं।
1.3 अरब लोगों पर लॉकडाउन लागू होने के साथ ही यह विशाल समूह हरकत में आ गया है। हालांकि उनका सामान्य कार्य ग्रामीण भारत में महिलाओं और बच्चों के पोषण में सुधार करना है, परंतु अब वे घर-घर जा रही हैं, लोगों के यात्रा इतिहास को रिकॉर्ड कर रही हैं, फ्लू के लक्षणों को नोट कर रही हैं और आवश्यकता पड़ने पर, संपर्कों का पता करने तक में भी मदद कर रही हैं।
उनका मिशन यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि देश का हर आखिरी छोर कोविड-19 के लिए प्रक्षेपण किए गए आरोग्य सेतु ऐप, रेडियो एवं टीवी के माध्यम से नियमित रूप से प्रसारित किए जा रहे सरकार के मार्गदर्शन को समझे और उसके अनुरूप कार्य करे।
भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक, उत्तर प्रदेश की एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा त्रिपाठी ने कहा, "सावधानी ही एकमात्र समाधान है।" हम लोगों को लॉकडाउन का उल्लंघन न करने और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की सलाह दे रहे हैं।
शहरों के पूरी तरह से बंद हो जाने के साथ, और कामबंदी के कारण लाखों प्रवासी अपने गांवों को लौट रहे हैं - कई तो घर पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ये महिलाएं सामुदायिक निगरानी में भी मदद कर रही हैं।
एक और निम्न आय राज्य, छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले की एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अमृका ने कहा, "मुझे बाहर से गांव में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति के बारे में पंचायत (ग्राम परिषद) को सूचित करना है, उस व्यक्ति से मिलना है और उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन में रहने की सलाह देना है।"