Skip to Main Navigation

भारत संक्षिप्त विवरण

एक नजर

भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है और यह 2047 तक उच्च मध्य आय के दर्जे तक पहुंचने की आकांक्षा के साथ इस पथ पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है। देश यह भी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि विकास का इसका जारी क्रम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार  है और 2047 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का अपना लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

पिछले दो दशक के विकास के परिणामस्वरूप भारत ने अत्यधिक गरीबी को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। अनुमान है कि 2011 और 2019 के बीच, देश में अत्यधिक गरीबी में रहने वाली आबादी का हिस्सा घटकर आधा - प्रति व्यक्ति प्रति दिन 2.15 डॉलर (2017 पीपीपी) से नीचे (विश्व बैंक गरीबी और असमानता पोर्टल और मैक्रो गरीबी आउटलुक, स्प्रिंग 2023) - रह गया है। हालांकि, हाल के वर्षों में, गरीबी में कमी की गति, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, धीमी हो गयी है लेकिन 2021-22 से मध्यम हो गयी है।

कुछ चुनौतियां बनी रहती हैं। पिछले दो दशकों में लगभग 35 के स्तर के गिनी सूचकांक के साथ उपभोग में असमानता जारी है। बाल कुपोषण उच्च स्तर पर बना हुआ है। पांच वर्ष से कम उम्र के 35.5 प्रतिशत बच्चों अविकसित हैं जबकि 6-59 महीने के आयु वर्ग के बच्चों में यह आंकड़ा बढ़कर 67 प्रतिशत हो गया है। प्रमुख रोजगार संकेतकों में 2020 के बाद से सुधार हुआ है, लेकिन नौकरियों की गुणवत्ता और वेतन में वास्तविक वृद्धि के साथ-साथ श्रमबल में महिलाओं की कम भागीदारी को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।

वर्ष 2047 तक उच्च आय दर्जा हासिल करने की भारत की आकांक्षा को जलवायु-लचीली विकास प्रक्रिया के जरिए साकार करने की आवश्यकता होगी जो आबादी के निचले आधे हिस्से को व्यापक लाभ प्रदान करे। विकास को प्रोत्साहित करने वाले सुधारों के साथ-साथ अच्छी नौकरियों में विस्तार की आवश्यकता होगी जो श्रम बाजार में प्रवेश करने वालों की संख्या के साथ तालमेल बनाये रखें। साथ ही, अधिक महिलाओं को कार्यबल में लाके आर्थिक भागीदारी में अंतर से निपटने की आवश्यकता होगी।

विश्व बैंक हरित, लचीले और समावेशी विकास के जरिए से देश और उसके लोगों के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए नीतियों, संस्थानों और निवेश को मजबूत करने में मदद करके इस प्रयास में सरकार के साथ साझेदारी कर रहा है।

आर्थिक दृष्टिकोण

विश्व में बढ़ती हुई चुनौतियों  के बावजूद, भारत  सबसे तेजी से बढ़ती हुई  अर्थव्यवस्था है और वित्‍त वर्ष 23-24 के दौरान इसकी 8.2% की तीव्र गति से  विकास हुई है।

बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेश और रियल एस्टेट में बढ़ते घरेलू निवेश से विकास को गति मिली है ।  कृषि क्षेत्र में कम प्रदर्शन के बावजूद, उत्पादन क्षेत्र में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई और सेवाओं के क्षेत्र में स्थिरता बनी रही।

औद्योगिक  क्षेत्र को बढ़ावा देने का प्रयास करते हुए सरकार ने कई पहल किये हैं।  जिनमें व्यावसायिक वातावरण में सुधार, लोजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना, कर दक्षता में सुधार और दरों को तर्कसंगत बनान शामिल है।

महामारी के बाद से शहरी बेरोज़गारी दर में सुधार हुआ, विशेषकर महिला श्रमिकों के लिए।   वित्‍त वर्ष 24/25 में यह दर 9% रहा। वित्‍त वर्ष  21/22 में यह दर 14.3 %  था।  तथापि, वित्त वर्ष 24/25 में शहरी युवाओं में बेरोजगारी 16.8 प्रतिशत पर बनी रही।

वर्त्तमान खाते के घाटे में कमी और मजबूत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह के साथ, विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त 2024 की शुरुआत में $67,010 करोड़ के सर्वकालिक ऊँचे स्तर पर पहुंच गया।

मध्य अवधि में, विकास को सकारात्मक रहने की उम्मीद है, विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में। वित्त वर्ष 24/25 में विकास दर 7 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है और  वित्त वर्ष 25/26 और 26/27 के दौरान मजबूत बनी रहेगी।

रोजगार और विकास को बढ़ाने में व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका

विकास को बढ़ावा देने और रोजगार पैदा करने के लिए, भारत को अपनी वैश्विक व्यापार क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता होगी। आईटी, व्यावसायिक सेवाओं और फार्मा के अलावा, भारत अपने निर्यात लक्ष्‍य में वस्त्र, परिधान और जूतों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और पर्यावरणीय वस्तुओं के उत्पादों जैसे अधिक श्रम-गहन क्षेत्रों को शामिल कर सकता है।

वर्तमान में, हालांकि, उत्पादन की बढ़ती लागत और घटती उत्पादकता के कारण वैश्विक परिधान निर्यात में भारत की हिस्सेदारी में गिरावट आई है।  2018 में 4 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 3 प्रतिशत तक पहुँच गई ।

भारत ने व्यापार लागत को कम करने और अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं जैसे राष्‍ट्रीय रसद नीति और डिजिटल पहल।  मगर संरक्षणवादी कार्यवाहियों, विशेष रूप से टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं की वापसी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में देश की भागीदारी को प्रभावित किया है।

एक त्रिस्तरीय दृष्टिकोण - व्यापार लागत को और अधिक कम करना, व्यापार बाधाओं को कम करना और व्यापार संधियों पर पुन: ध्यान करना, भारत को 2030 तक अपने $1 ट्रिलियन के निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने के लिए  मदद कर सकता है।

वैश्विक व्यापार परिदृश्‍य, लगातार भारत की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाएगा, उत्पादकता में सुधार करेगा, विकास को गति देगा और दीर्घकालिक आर्थिक प्रतिरोधक्षमता का निर्माण करेगा।

 अंतिम बार अद्यतित: 20/09/24

Image

स्कूल न जाने वाले बच्चों को वर्ष 2001 से प्राथमिक विद्यालय भेजा गया।

ऋणदान

भारत: वित्त वार्षिक प्रतिबद्धता (मिलियन डॉलर में)*

*इस राशि में आईबीआरडी व आईडीए की प्रतिबद्धता शामिल है
Image
फ़ोटो गैलरी
अधिक फ़ोटो

अतिरिक्त जानकारी

देशीय कार्यालय

सुदीप मोजुमदार
70 लोदी एस्टेट
नई दिल्ली
भारत
+91-11-41479301 / 49247000