संदर्भ
विश्व भर में वायु प्रदूषण मृत्यु का एक बड़ा कारक है. भारत में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व में सर्वाधिक है, जो देश के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए भारी खतरा है। भारत की लगभग पूरी आबादी (1.4 अरब लोग) अपने चारों ओर हवा में हानिकारक स्तर पर मौजूद पीएम 2.5 कणों के संपर्क में हैं, जो सबसे खतरनाक वायु प्रदूषक है और विभिन्न स्रोतों से निकल कर हवा में मुक्त हो रहा है। इन सूक्ष्म कणों का व्यास 2.5 माइक्रोन से भी कम होता है, जिसकी चौड़ाई मनुष्य के सिर के एक बाल का 1/30 वां हिस्सा होती है. पीएम 2.5 कणों के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर, मस्तिष्क-आघात और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ऐसा अनुमान है कि घर के भीतर मौजूद प्रदूषित हवा के कारण साल 2019 में 17 लाख भारतीयों की अकाल मृत्यु हो गई। 2017 में वायु प्रदूषण के कारण हुई घातक बीमारियों के चलते खोए हुए श्रम की लागत 30 से 78 अरब डॉलर थी, जो भारत की जीडीपी का लगभग 0.3-0.9% है।
पीएम 2.5 के हवा में उत्सर्जन के बहुत सारे स्रोत हैं। लेकिन कुछ सबसे आम स्रोत जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला, पेट्रोलियम उत्पाद और बायोमास जैसे लकड़ी, चारकोल और फसल अवशेषों का दहन है। पीएम 2.5 हवा में उड़ने वाली धूल से भी वातावरण में फैल सकता है, जिसमें प्राकृतिक धूल के साथ-साथ निर्माण स्थलों, सड़कों और औद्योगिक संयंत्रों की धूल भी शामिल है।
भारत में पीएम 2.5 कणों का आधे से अधिक उत्सर्जन ऊपरी वायुमंडल में "द्वितीयक" तरीके से होता है, जब एक क्षेत्र से उत्सर्जित प्रदूषक गैसें जैसे अमोनिया (NH3), दूसरे स्थानों से निकली प्रदूषक गैसों जैसे सल्फर डाईऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइडों (NOX) से मिल जाती हैं। कृषि, उद्योग, बिजली संयंत्र, घर और परिवहन, सभी बड़े स्तर पर पीएम 2.5 के द्वितीयक स्रोत हैं। प्राथमिक स्तर पर निर्मित पीएम 2.5 कणों की तुलना में द्वितीयक कणों का प्रसार शहरों, राज्यों की सीमाओं के पार कहीं अधिक दूरी तक और बहुत बड़े क्षेत्रफल में है।
इसलिए भारत में वायु प्रदूषण से जुड़ी चुनौतियां स्वाभाविक रूप से बहुस्तरीय और बहुपक्षीय हैं. एयरशेड एक ऐसा साझा भौगोलिक क्षेत्र होता है, जहां अलग-अलग प्रदूषक आपस में मिश्रित होकर एक समान गुणवत्ता वाली वायु का निर्माण करते हैं. प्रभावी वायु प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों के लिए शहरों को अपने तत्काल अधिकार क्षेत्र से परे देखने और एयरशेड-आधारित प्रबंधन के लिए उपकरणों का एक नया सेट लागू करने की आवश्यकता है।
शहरों को प्रभावी वायु प्रदूषण रणनीतियों को लागू करने के लिए अपने निकटतम क्षेत्रों से परे इसे व्यापक संदर्भ में देखना होगा और एयरशेड आधारित प्रबंधन के लिए नए उपकरणों को अपनाना होगा. इसके अलावा, पूरे देश में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के मानक तय करने होंगे और इसके लिए नियंत्रण से जुड़ी रणनीतियों और उपयुक्त आंकड़ों को एक दूसरे के साथ जोड़ा जा सकता है.