वह जो बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ीं
बत्तीस वर्षीय कौसर जहां तीन बच्चों की मां हैं, जो परिवार के नौ और सदस्यों के साथ पूर्वी हैदराबाद में रहती हैं। कौसर महज़ 17 साल की थी, जब उनकी शादी हुई और उसके कारण उनकी पढ़ाई छूट गई। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे नई मंज़िल कार्यक्रम ने उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने और रोजगार के अनुकूल नए कौशल सीखने का मौका दिया।
महामारी के दौरान, नई मंज़िल कार्यक्रम से मिले प्रशिक्षण के बल पर कौसर एक सरकारी अस्पताल में बेड साइड सहायक की नौकरी हासिल करने में सफ़ल रहीं, जहां उन्हें मरीजों की देखभाल का काम करना था।
नई मंजिल कार्यक्रम की आधे से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं, जिसमें मुस्लिम औरतों की संख्या सर्वाधिक है। अभी तक, इस कार्यक्रम के तहत 50,700 अल्पसंख्यक औरतों को शिक्षा और कौशल विकास का लाभ मिला है।
महिलाओं का एक और समूह, बैंक सखी, विशेष रूप से महामारी के दौरान काफ़ी सक्रिय रहा है। विश्व बैंक द्वारा समर्थित इस समूह की स्थापना 2016-17 के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत की गई थी। इन मुश्किल परिस्थितियों में इन महिलाओं ने अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां उन्होंने सरकार द्वारा लोगों के बैंक खाते में डाले गए पैसे को निकालने में आम लोगों की सहायता की ताकि वे कोरोना संकट से जूझने में उनकी मदद कर सकें।
बिहार के औरंगाबाद जिले के एक door गांव में, बंधिनी कुमारी पिछले दो वर्षों से बुनियादी बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रही हैं। लेकिन पिछले साल की तुलना में वह पहले कभी इतनी व्यस्त नहीं रहीं। वह बताती हैं, "मैं हर रोज़ 50 से 80 लोगों से मिलती हूं। जिन लोगों ने पहले कभी अपने खाते का इस्तेमाल नहीं किया था, वे भी इस नकद सहायता के पैसे निकालने आ रहे हैं।"
विश्व बैंक ने ऐसे कई कार्यक्रमों का समर्थन किया है, जिसके द्वारा औरतों ने घरों से बाहर निकल कर ऐसे क्षेत्रों में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई है, जिसे परंपरागत रूप से पुरुषों का कार्यक्षेत्र माना जाता रहा है।
उदाहरण के लिए, केरल में सिंचाई विभाग की महिला इंजीनियर बांधों के प्रबंधन, नहरों के निर्माण और उनके रखरखाव की जिम्मेदारियां संभालती हैं। यह भारत का एक ऐसा राज्य है जिसकी साक्षरता दर देश भर में सबसे ज्यादा है, जहां सरकारी कॉलेजों के सिविल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए लड़कियां भी समान रूप से लड़कों की तरह कठिन प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लेती हैं।
एस. मंजू, जो बांध सुरक्षा विभाग में काम करती हैं, अक्सर वरिष्ठ महिला इंजीनियरों के साथ राज्य भर के बांध स्थलों की निगरानी के लिए दौरे पर जाती रहती हैं। वह अन्य महिला सहयोगियों के साथ काम करके बेहद गर्व महसूस करती हैं। "हमें इस बात का गर्व है कि हमारा काम प्रदेश में रहने वाले लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।"