अनीता सैनी भारत के रेगिस्तानी राज्य राजस्थान के झुंझुनू जिले के बागड़ शहर में एक माध्यमिक स्कूल में विज्ञान पढ़ाती हैं। करवाचौथ के दिन, जब पारंपरिक तौर पर विवाहित हिन्दू महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, अनीता अपने घर से पांच किमी दूर स्कूटर चला रही थीं। उस दिन उन्होंने नारंगी-गुलाबी रंग की सिल्क की साड़ी पहनी हुई थी। उन्होंने बताया कि 2014 में बनी इस सड़क ने उन्हें आज़ादी की नई उड़ान दी है और नए उद्देश्य बनाने में मदद की है।
"जब यहां सड़क नहीं थी, तो हमारे सामने कोई विकल्प नहीं था। मेरे जैसी औरतों को घर पर रहना पड़ता था।"
अनीता उन 171000 बस्तियों में से एक की रहवासी हैं, जिन्हें भारत के 460 करोड़ डॉलर के ग्रामीण सड़क परियोजना (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) का लाभ मिला है। और 2001 से इस योजना के तहत देश भर के ग्रामीण इलाकों में ऑल वेदर सड़कों का निर्माण और पुरानी सड़कों की मरम्मत का काम चल रहा है।
देश भर के ग्रामीण इलाकों में नई सड़कों के निर्माण और पुरानी सड़कों की मरम्मत ने उन गांवों को देश के नक्शे पर जगह दी है, जो कभी गुमनाम थे। इनकी मदद से परिवारों की आय में इजाफा हुआ है, रोजगार के नए अवसरों में वृद्धि हुई है, और लोगों की बाजारों, अस्पतालों और स्कूलों तक पहुंच आसान हुई है। इसके साथ ही मनोरंजन के कई नए साधन तैयार हुए हैं।