Skip to Main Navigation
BRIEF 16 मार्च, 2022

भारत के गांवों को जोड़ती पीएमजीएसवाई सड़कें

मल्टीमीडिया

Image
click

कहानी की प्रमुख घटनाएं

  • 2001 से, भारत देश भर के ग्रामीण इलाकों में ऑल वेदर सड़कों का निर्माण कर रहा है और पुरानी सड़कों की मरम्मत पर ज़ोर दे रहा है
  • विश्व बैंक ने देश की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 2.1 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिसके तहत 48000 किमी ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ है और इनसे क़रीब 19000 बस्तियां सीधे-सीधे लाभान्वित हुई हैं।
  • इन सड़कों ने ग्रामीण आय को बढ़ाने, रोज़गार के नए अवसरों को पैदा करने और बाज़ार, अस्पतालों और स्कूलों तक पहुंच को सुलभ बनाने में सहायता की है।

अनीता सैनी भारत के रेगिस्तानी राज्य राजस्थान के झुंझुनू जिले के बागड़ शहर में एक माध्यमिक स्कूल में विज्ञान पढ़ाती हैं। करवाचौथ के दिन, जब  पारंपरिक तौर पर विवाहित हिन्दू महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, अनीता अपने घर से पांच किमी दूर स्कूटर चला रही थीं। उस दिन उन्होंने नारंगी-गुलाबी रंग की सिल्क की साड़ी पहनी हुई थी। उन्होंने बताया कि 2014 में बनी इस सड़क ने उन्हें आज़ादी की नई उड़ान दी है और नए उद्देश्य बनाने में मदद की है।

"जब यहां सड़क नहीं थी, तो हमारे सामने कोई विकल्प नहीं था। मेरे जैसी औरतों को घर पर रहना पड़ता था।"

 

अनीता उन 171000 बस्तियों में से एक की रहवासी हैं, जिन्हें भारत के 460 करोड़ डॉलर के ग्रामीण सड़क परियोजना (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) का लाभ मिला है। और 2001 से इस योजना के तहत देश भर के ग्रामीण इलाकों में ऑल वेदर सड़कों का निर्माण और पुरानी सड़कों की मरम्मत का काम चल रहा है।

देश भर के ग्रामीण इलाकों में नई सड़कों के निर्माण और पुरानी सड़कों की मरम्मत ने उन गांवों को देश के नक्शे पर जगह दी है, जो कभी गुमनाम थे। इनकी मदद से परिवारों की आय में इजाफा हुआ है, रोजगार के नए अवसरों में वृद्धि हुई है, और लोगों की बाजारों, अस्पतालों और स्कूलों तक पहुंच आसान हुई है। इसके साथ ही मनोरंजन के कई नए साधन तैयार हुए हैं।


मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं घर के करीब

ग्रामीण सड़कों के निर्माण से घरों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं से दूरी कम हुई है और लड़के और लड़कियों के लिए स्कूलों तक पहुँचना आसान हुआ है। गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों तक अब स्वास्थ्य सुविधाओं की होम डिलीवरी संभव हुई है।

राजस्थान में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच

कम साक्षरता दर वाले राज्य राजस्थान में ग्रामीण सड़कों के निर्माण का परिणाम ये है कि अब दूरदराज के गांवों में भी स्कूल बसें पहुंच पा रही हैं, जिससे बच्चों का स्कूल तक पहुंचना आसान हुआ है। अब हर बच्चा स्कूल में नामांकित है, और कई सारे युवा पास के शहरों में उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। नर्सरी के बच्चों को भी लाभ मिला है। आंगनवाड़ी केंद्रों (भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु देखभाल केंद्र का एक प्रकार) का देखभाल करने वाली औरतों के लिए काम पर जाना आसान हो गया है। अब वे बच्चों के लिए दोपहर में गर्म खाना तैयार कर सकती हैं, उनके साथ पढ़ सकती हैं, गाने गुनगुना सकती हैं।

स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच आसान हुई है। पहले बीमारों को अस्थाई बिस्तरों पर या उबड़-खाबड़ रास्तों पर ऊँट की गाड़ियों पर लेटा कर निकटतम स्वास्थ्य सुविधा केंद्र तक ले जाना पड़ता था। अब किसी स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान, एम्बुलेंस सुविधाएं लोगों के घरों तक पहुंचती हैं ताकि गर्भवती महिलाओं और वृद्धों को पास के अस्पतालों में पहुंचाया जा सके।

राजस्थान के पथरीले और शुष्क इलाकों के छोटे शहरों में अब ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास अपनी मोटरसाइकिलें और वैन हैं, जिससे वे पास के शहरों में रोज़गार के नए अवसरों को भुनाने में सक्षम हो सके हैं। संसाधनों तक पहुंच के बढ़ने से कई बुनियादी परिवर्तन हुए हैं। उदाहरण के लिए, पक्के मकानों वाले अधिक से अधिक घरों में अब शौचालय की सुविधाएं उपलब्ध हैं।


मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

ग्रामीण सड़कों के निर्माण से आई समृद्धि

गांव वाले रोज़गार के नए अवसरों की तलाश में पास के कस्बों और बड़े शहरों में यात्राएं कर रहे हैं। नए बाजारों तक पहुंच आसान हो जाने से परिवारों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिली है।

मेघालय में बाज़ारों की सुगमता

 

उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय, जहां के पहाड़ी इलाकों में साल के लगभग छह महीने बारिश होती है, वहां रोज़मर्रा का जीवन बेहद कठिन है। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के लिए परिस्थितियां दुष्कर हैं। पूर्वी गारो पहाड़ियों में बसे रोंगसा गांव में, जहां केले, काजू, सुपारी और चावल की खेती आमदनी के प्राथमिक स्रोत हैं, वहां बनी एक नई सड़क ने किसानों के सामने नए बाज़ारों का रास्ता तैयार किया है। अब गांव के किसान दरंगगिरी जाकर अपने कृषि उत्पाद बेच सकते हैं। दरंगगिरी केलों का एशिया का सबसे बड़ा बाज़ार है, जो असम-मेघालय की सीमा से 10 किमी दूर है।

एक किसान, पानसेंग एम. मोमिन कहते हैं कि पहले उन्हें बाज़ार तक जाने के लिए घंटों अपने अपने कंधों पर केले लादकर पैदल चलना पड़ता था। हर चक्कर में वे केवल चार या पांच गुच्छे ले जा पाते थे। अब उनका पूरा उत्पाद (300 से 400 केले के गुच्छे) सिर्फ एक बार में ही पिक अप वैन के ज़रिए बाज़ार तक पहुंच जाता है। इससे उनकी साप्ताहिक आमदनी दोगुनी बढ़कर 1000 से 2000 रु हो गई है।

रोज़गार के वैकल्पिक साधन

 

झारखंड में, सड़कों के निर्माण ने युवाओं के सामने रोज़गार के नए अवसर खोले हैं, जो इससे पहले अनिश्चित कृषि पर निर्भर थे। कार्तिक महतो और लाल मोहन महतो समेत गांव के 25-30 पुरुष जमशेदपुर के कारखानों में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने के लिए अपनी मोटरबाइकों और साइकिलों पर या बस के ज़रिए 60 किमी दूरी तय करते हैं। 

वह अपनी साईकिल की यात्रा के बारे में बताते हैं, "जब हमारे गांव में केवल एक कच्ची सड़क थी, तो बारिश के दिनों में उस पर चलना भी दूभर हो जाता था।" उन्हें अपने कंधों पर साईकिल रखकर सड़क पार करना पड़ता था क्योंकि बारिश से पूरा रास्ता कीचड़ से ख़राब हो जाता था। 


मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण से महिलाएं हुईं और ज्यादा सशक्त और स्वतंत्र

गांव की कई औरतें और लड़कियां अब स्कूल, स्वास्थ्य केंद्रों तक जा पा रही हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं।

सामुदायिक भागीदारी

परियोजना के सबसे महत्त्वपूर्ण नवाचारों में से एक है: सड़क निर्माण के प्रत्येक चरण में लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना। योजना बनाने से लेकर निगरानी और मूल्यांकन तक।

विश्व बैंक ने एक नई अवधारणा 'ट्रांसेक्ट वॉक' को अपनाया है, जहां किसी क्षेत्र में सड़क निर्माण की दिशा को तय करने से पहले स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों से विमर्श किया जाता है। इस नए दृष्टिकोण को अपनाने से योजना और निर्माण की प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है और परियोजना से प्रभावित लोगों को योजना प्रक्रिया में शुरू से आखिरी चरण तक शामिल किए जाने से समावेशिता जैसे मूल्य को बढ़ावा मिला है।

इसके अलावा, विश्व बैंक के वित्तीय निवेश के कारण, परियोजना ने कई नवाचार आधारित पहलों को शुरू किया है, जहां स्थानीय समुदाय और महिलाओं के स्वयं-सहायता समूह मिलकर ग्रामीण सड़कों की देखभाल का ज़िम्मा उठाते हैं। हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड, और मेघालय जैसे राज्यों में सामुदायिक भागीदारी के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। कई अन्य राज्य अब इन पहलों को बड़े पैमाने पर लागू कर रहे हैं।

पारदर्शिता को और ज्यादा सुनिश्चित करने के लिए, एक वेब आधारित निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली विकसित की गई है, जहां पीएमजीएसवाई से जुड़ी सभी परियोजनाओं से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध हैं। चाहे अधिग्रहण संबंधी जानकारी हो या वित्त और निर्माण की प्रगति संबंधी सूचना हो, सारी जानकारियां सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। इससे योजना के बेहतर प्रबंधन और उसके क्रियान्वयन में सहायता मिलती है। वहीं इसके ज़रिए विश्व बैंक के सुरक्षा मानकों का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाता है।

विश्व बैंक का सहयोग

भारत सरकार द्वारा देश के ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे के निर्माण, रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को देश के दूरदराज़ इलाकों में पहुंचाने के लक्ष्य को देखते हुए विश्व बैंक ने अब तक ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत 210 करोड़ डॉलर का निवेश किया है।

इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य भारत के नौ राज्यों - राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, त्रिपुरा और पंजाब - में गांवों को सड़कों से जोड़ना है। इसे  पूरा करने के लिए 48000 किमी सड़कों के निर्माण पर निवेश किया गया है और कुल 19000 बस्तियों को इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ मिला है


मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

Village roads increase access for girls to school

Girls like Akansha are now able to continue their studies and even pursue higher education in another town.    

मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

Roads open pathways to better jobs 

For Budhram, the road to his village has led to higher income closer to home. 

मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

In rural Jharkhand the youth dream big 

Noni Mahato aims to become a government employee and supports this dream by giving tuition to little children. 

मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

Roads help women become independent in remote parts of India 

Sengrish runs a shop on a fairly busy road near her village that enables her to contribute financially towards her family. 

मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

Roads help increase incomes for villagers 

Mahender ferries children to school in his village while earlier he drove a truck that took him far from home. 

मल्टीमीडिया

Image
click
वीडियो

Villagers see businesses expand because of roads 

Saini saw his income grow manifold when he started using a motorcycle to transport and sell milk.