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BRIEF 19 अक्तूबर, 2021

भारत और विश्व बैंक: साझेदारी के 75 साल

1947 में स्वतंत्र होने के बाद से, भारत ने विकास की एक लंबी और दिलचस्प यात्रा पूरी की है। यह देश कभी निम्न आय वाला देश था, मगर वर्तमान में उसने निम्न मध्य आय वर्ग का दर्ज़ा हासिल किया है, जिसकी आबादी 1.3 अरब से ज्यादा है और जिसकी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 30 खरब डॉलर है। इसके साथ ही भारत रियायती दरों पर ऋण प्राप्तकर्ता देश से एक ऋण प्रदाता देश बन चुका है।

विश्व बैंक और भारत के बीच साझेदारी के 75 वर्ष पूरे होने पर, हम बीते दशकों में भारत द्वारा हासिल की गई कुछ ऐसी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों को याद कर रहे हैं, जिसके लिए विश्व बैंक को साथ काम करने का महान अवसर प्राप्त हुआ।


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साझेदारी की मुख्य विशेषताएं

(अंग्रेजी में)


कोई भी कहानी उन लोगों के ज़िक्र के बिना पूरी नहीं हो सकती जिन्होंने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए इस विषय पर जुनैद अहमद, जो भारत में विश्व बैंक शाखा के डायरेक्टर हैं, ने उन छह नेताओं से बात की है, जो भारत की विकास यात्रा में परिवर्तन के सूत्रधार रहे हैं।

उन्होंने उनसे भारत के विकास में विश्व बैंक के योगदान के बारे में चर्चा करते हुए भारत के उन अनुभवों के बारे में पूछा, जिनसे अन्य देश कुछ महत्वपूर्ण सबक हासिल कर सकते हैं. और जैसे-जैसे देश निम्न मध्यम आय की स्थिति से उच्च मध्यम आय की स्थिति की ओर बढ़ेगा, उसके साथ-साथ विश्व बैंक को अपनी भूमिका को बदलने की आवश्यकता होगी।


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भारत और विश्व बैंक की साझेदारी के 75 साल पूरे होने पर जुनैद जमशेद की भारत में आर्थिक सुधार से जुड़े नेताओं से बातचीत

(अंग्रेजी में)

भारत की विकास यात्रा से जुड़े मील के पत्थर


  • 1945: औपनिवेशिक शासन के अधीन रहने के दौरान, भारत विश्व बैंक का एक संस्थापक सदस्य बना। पहली बार भारत ने ही विकासशील देशों की सहायता के लिए एक विशिष्ट समूह बनाने का सुझाव दिया, जिसके आधार पर बाद में अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ की स्थापना की गई।

    1949:  1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के कुछ ही समय बाद भारत ने भारतीय रेलवे के विकास के लिए विश्व बैंक से पहली बार ऋण लिया। भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे लंबे रेल नेटवर्कों में से है। ये विश्व बैंक द्वारा किसी एशियाई देश को दिया गया पहला ऋण था, और उसके साथ ही ये पहला मौका था, जिस पर किसी महिला (श्रीमती विजया लक्ष्मी पंडित) ने हस्ताक्षर किया था।

  • भारत के एक आधुनिक औद्योगिक देश बनने की ओर कदम बढ़ाने के साथ ही, विश्व बैंक ने देश के पहले बिजली संयंत्र एवं इस्पात उद्योग की स्थापना के लिए विदेशी निवेश जुटाने में उसकी मदद की (जिसमें बोकारो, दुर्गापुर, टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी भी शामिल है)। इन उद्योगों की महत्ता इस बात से ही साबित हो जाती है कि इन्हें "आधुनिक भारत के मंदिर" की उपमा दी गई। विश्व बैंक ने कलकत्ता और मद्रास (वर्तमान में, कोलकाता और चेन्नई) बंदरगाहों के पूर्णोद्धार में भारत की सहायता की और एयर इंडिया (भारत की राष्ट्रीय वायु सेवा) को अपने बेड़े के विस्तार एवं आधुनिकीकरण करने में सहयोग प्रदान किया।

  • जब लगातार सूखे की समस्या से भारत में खाद्यान्न संकट पैदा हुआ और भारत को अपनी तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए बाहर से अनाज़ खरीदना पड़ा, तब विश्व बैंक ने भारत के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति की नींव रखी। उसकी परियोजनाओं की मदद से देश में खेतिहर भूमि की उपलब्धता में वृद्धि हुई और आगे चलकर आयात पर निर्भर रहने वाला देश विश्व पटल पर एक मजबूत कृषि शक्ति के रूप में उभरा और अनाजों के आयातक से निर्यातक में बदल गया। विश्व बैंक ने हैवी इलेक्ट्रिकल्स और व्यावसायिक वाहनों समेत भारत के नए पूंजीगत माल उद्योगों की भी सहायता की।

  • जैसे-जैसे भारत ने कृषिगत विकास पर और अधिक ज़ोर देना शुरू किया, विश्व बैंक ने उच्च उपज वाले बीजों और उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए खाद्यान्न-भंडारण की सुविधाओं के निर्माण के लिए भारतीय खाद्य निगम को सहायता प्रदान की।

    दुग्ध सहकारिता क्षेत्र में अमूल के सफ़ल प्रयोग को गुजरात के आणंद से देश के बाकी हिस्सों में ले जाने का श्रेय भी विश्व बैंक के नाम है। दुग्ध सहकारिता के इस ऐतिहासिक आंदोलन को "ऑपरेशन फ्लड" या "सफ़ेद क्रांति" के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण लंबे समय से दूध की कमी से जूझने वाला एक देश पूरी दुनिया में दूध और दुग्ध उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन गया।

  • वैश्विक तेल संकट के पैदा होने पर, भारत ने ऊर्जा के स्वदेशी स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया, जिसके परिणामस्वरूप मुंबई हाई (बॉम्बे हाई) और कॉम्बे बेसिन में तेल और गैस के खनन की सुविधा विकसित करने और कृष्ण गोदावरी डेल्टा में हाइड्रोकार्बन के भंडार को खोजने में विश्व बैंक ने भारत सरकार की सहायता की।

    मालवाहक जहाज़ों के आगमन के साथ ही, विश्व बैंक ने मुंबई के पास न्हावा शेवा बंदरगाह की स्थापना में मदद की, जो मालवाहक जहाज़ों के अनुकूल भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है।

  • जब भारत ने ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों को घोषणा की, तो एक नई वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए संस्थानों के निर्माण में विश्व बैंक ने भारत की सहायता की। इसमें भारत का पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (केंद्रीय विद्युत पारेषण उपयोगिता) और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जैसे संस्थान शामिल थे। जहां पावरग्रिड आज दुनिया के सबसे बड़े ऐसे संस्थानों में एक है, वहीं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पूरे देश में सड़कों का जाल बिछाकर देश की तस्वीर बदल कर रख दी है।

    ग्रामीण जल आपूर्ति के क्षेत्र में कई प्रगतिशील सुधारों को लागू करने में भी विश्व बैंक ने भारत की मदद की, जहां पहली बार स्थानीय समुदायों को जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना एवं उसके प्रबंधन में शामिल किया गया। वर्तमान में, 30 हजार से अधिक गांवों में लगभग 3 करोड़ लोगों की पेयजल तक पहुंच आसान हुई है।

    इस दौरान विश्व बैंक की परियोजनाओं ने भारत को कई संक्रामक रोगों से निपटने में सहायता की, जिसके कारण भारत से कुष्ठ रोग का उन्मूलन संभव हुआ, मोतियाबिंद से अंधेपन के मामलों में कमी आई, पोलियो के खिलाफ़ बहुत बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया, मलेरिया और तपेदिक जैसी घातक बीमारियों रोकथाम एवं उपचार के लिए गहन प्रयास किए गए और इसके साथ ही औरतों और बच्चों में पोषण में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत 2014 से पोलियो मुक्त हो चुका है।

  • जब भारत ने हर बच्चे को स्कूल में लाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया, तो विश्व बैंक ने देश के "सभी के लिए शिक्षा" कार्यक्रम का समर्थन करते हुए भारत के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने में अपना योगदान दिया। ये दुनिया के सबसे बड़े साक्षरता अभियानों में से एक है। तब से लेकर आज तक में भारत बहुत बड़ी संख्या में बच्चों को स्कूल लाने में सफ़ल रहा है और भारत के लगभग सभी बच्चों के पास अब उनके घर से पैदल दूरी के भीतर एक प्राथमिक विद्यालय है।

    विश्व बैंक ने भारत के गांव-गांव तक ऑल वेदर सड़क पहुंचाने की योजना का भी समर्थन किया है। तब से लेकर आज तक, अकेले विश्व बैंक की सड़क परियोजना ने ही 48 हजार किमी लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया, जिसमें से कई सड़कें देश के दूरदराज़ के इलाकों में बनवाई गई हैं।

    जब भारत ने समावेशी विकास का अपना मसौदा तैयार किया, तो विश्व बैंक ने ग्रामीण भारत की आजीविका में सुधार के लिए एक अनूठा तरीका अपनाते हुए गांव की गरीब औरतों को सशक्त बनाने पर ज़ोर दिया। तब से अब तक, विश्व बैंक के कार्यक्रमों ने भारत के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का समर्थन करते हुए लगभग 8 करोड़ (77 मिलियन) औरतों की स्वयं सहायता समूह बनाने में मदद की है। यह दृष्टिकोण भारत के सबसे गरीब इलाकों में गहरे बदलाव लाने के लिए ज़रूरी है, और आज भी इसी दृष्टिकोण का प्रयोग बैंक अन्य क्षेत्रों में भी कर रहा है।

    उसके साथ ही, विश्व बैंक की एक महत्वपूर्ण परियोजना ने महानगर की लोकल ट्रेनों में सुधार और महानगर के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से को जोड़ने वाली सड़कों को खोलकर मुंबई में यातायात की समस्या का समाधान करने में मदद की।

    2001 में गुजरात के विनाशकारी भूकंप और 2004 में आई सुनामी से होने वाली तबाही के बाद विश्व बैंक परियोजनाओं ने देश की पुनर्निर्माण में सहायता की।

  • पिछले दशक में, विश्व बैंक ने अगली पीढ़ी की कई बड़ी परियोजनाओं से जुड़ा रहा है, जिसमें भारत के पहले बिजली आधारित रेलवे कॉरिडोर का निर्माण, लंबे समय से बंद पड़े आंतरिक जलमार्गों का पुनरुद्धार और मल्टीमॉडल परिवहन तंत्रों का विकास शामिल है। ये परियोजनाएं भारत को अपनी माल ढुलाई की उच्च लागत को कम करने, सभी तंत्रों को एक बाज़ार से जोड़ने और हरित विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सहयोग कर रही हैं।

    जबकि भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बन कर उभर रहा है, ये परियोजनाएं कई स्वच्छ ऊर्जा पहलों के क्रियान्वयन में मदद कर रही हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर सोलर पार्कों के निर्माण से लेकर छतों पर सोलर पैनल लगाने जैसी गतिविधियों शामिल हैं।

    भारत द्वारा खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करने के लिए चलाए जा रहे ऐतिहासिक अभियान का समर्थन करते हुए विश्व बैंक ने ग्रामीण इलाकों में व्यवहार परिवर्तन के जरिए व्यापक बदलाव लाने पर ज़ोर दिया।

    इसके अलावा, विश्व बैंक ने पौराणिक महत्त्व रखने वाली गंगा नदी के पुनरुद्धार योजना के प्रति अपना समर्थन जारी रखते हुए इसके प्रबंधन के लिए नदी बेसिन आधारित एक व्यापक दृष्टिकोण को अपनाने पर बल दिया है।

  • 2020 में, कोरोना महामारी ने जब देश के सामने अभूतपूर्व संकट की स्थिति पैदा कर दी, तब विश्व बैंक ने भारत की तात्कालिक स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने, गरीबों को भोजन और नकद सहायता पहुंचाने और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को सुरक्षा प्रदान करने में सहायता की।

    भारत से अपनी साझेदारी के अगले चरण में, विश्व बैंक भारत को एक टिकाऊ और लचीली अर्थव्यवस्था के निर्माण में सहयोग करेगा।

    वर्तमान में, भारत में विश्व बैंक द्वारा समर्थित कुल 127 सक्रिय परियोजनाएं काम कर रही हैं, जिसमें बैंक ने अब तक कुल 28 अरब डॉलर का निवेश किया है। फिर भी, विश्व बैंक द्वारा मिलने वाली आर्थिक सहायता भारत की लगभग 30 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का एक बहुत छोटा सा हिस्सा है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत से भी कम है।


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मोंटेक सिंह अहलूवालिया से बातचीत

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के पी कृष्णन के साथ बातचीत

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एन के सिंह से बातचीत

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टी विजय कुमार से बातचीत

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विनी महाजन से बातचीत

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रीमा नानावती से बातचीत

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